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हमें छपी बात पर बड़ा भरोसा है। इसलिए तो बात को छाप कर धोखा देने का उपाय बड़ा आसान है। इसलिए तो विज्ञापन इतना प्रभावी हो गया है दुनिया में। छपा हुआ विज्ञापन एकदम प्रभाव लाता है। बड़े -बड़े अक्षरों में लिखी हुई बात एकदम छाती में प्रवेश कर जाती है। बड़े अक्षर को इंकार
करो! जब इतना छपा हुआ है तो ठीक ही होगा। छपी बात कहीं गलत होती है! और अगर बड़े -बड़े लोग, प्रतिष्ठा है जिनकी, साख है जिनकी, बात को कह रहे हों तब तो फिर गलत होती ही नहीं।
___ लेकिन सत्य का छपे होने से क्या संबंध है? शब्द से हमारा मोह थोड़ा क्षीण होना चाहिए। सत्य का संबंध शून्य से ज्यादा है, निःशब्द से ज्यादा है। परमात्मा की कोई भाषा तो नहीं, लेकिन सब दुनिया के धर्म दावा करते हैं। हिंदू कहते हैं 'संस्कृत देववाणी है। वह परमात्मा की भाषा है।' यहूदी कहते हैं 'हिलू परमात्मा की भाषा है।' मुसलमानों से पूछो तो कहेंगे : ' अरबी।' जैनों से पूछो तो कहेंगे 'प्राकृत।' बौद्धों से पूछो तो कहेंगे 'पाली।'
दूसरे महायुद्ध में एक जर्मन और एक अंग्रेज जनरल की बात हो रही थी युद्ध के समाप्त हो जाने के बाद। वह जर्मन जनरल पूछ रहा था कि मामला क्या है, हम हारते क्यों चले गये? हमारे पास तुमसे बेहतर युद्ध की साधन-सामग्री है, ज्यादा वैज्ञानिक। तकनीकी दृष्टि से हम तुमसे ज्यादा विकसित हैं, तो फिर हम हारे क्यों?
तो उस अंग्रेज ने कहा. हार का कारण और है। हम युद्ध के पहले परमात्मा से प्रार्थना करते
जर्मन बोला: यह भी कोई बात हई प्रार्थना तो हम भी करते हैं।
वह अंग्रेज हंसने लगा। उसने कहा कि करते होओगे, लेकिन कभी सुना तुमने कि परमात्मा को जर्मन भाषा आती है? अंग्रेजी में की थी प्रार्थना?
हर भाषा का बोलने वाला सोचता है कि उसकी भाषा परमात्मा की भाषा है, देववाणी! इलहाम की भाषा!
कोई भाषा परमात्मा की नहीं है। सब भाषायें आदमी की हैं। परमात्मा की भाषा तो मौन है। तो परमात्मा-रचित कोई भी शास्त्र तो हो नहीं सकता। सब शास्त्र मनुष्य के रचित हैं। हिंदू कहते हैं, वेद अपौरुषेय हैं, पुरुष ने नहीं बनाये। मुसलमान कहते हैं, कुरान उतरी, बनाई नहीं गई। सीधी उतरी आकाश से! मुहम्मद ने झेली, यह बात और; मगर बनाई नहीं। इलहाम हुआ, वाणी का अवतरण हुआ।
इस तरह के दावे सभी करते हैं। इन दावों के पीछे एक आकांक्षा है कि अगर हम यह दावा कर दें कि हमारा शास्त्र परमात्मा का है तो लोग ज्यादा भरोसा करेंगे। परमात्मा का है तो भरोसे योग्य हो जायेगा। फिर ये सारे दावेदार स्वभावत: यह भी दावा करते हैं कि दूसरे का शास्त्र परमात्मा का नहीं है, क्योंकि अगर सभी शास्त्र परमात्मा के हैं तो फिर दावे का कोई मूल्य नहीं रह जाता। तो कुरान वेद के खंडन में लगा रहता है; वेद कुरान के खंडन में लगे रहते हैं। हिंदू मुसलमान से विवाद करते रहते हैं, ईसाई हिंदू से विवाद करते रहते हैं। यह विवाद चलता रहता है।