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फिर तुम्हें हंसाने का विज्ञान ही समझ में नहीं आया। अगर मैं तुम्हें हंसाने की कुछ बात
कहूं और खुद ही हंस दूं तो तुम चूक जाओगे फिर तुम न हंस सकोगे। अगर मुझे तुम्हें हंसाना तो मुझे गंभीर रहना पड़ेगा। जितना ज्यादा मैं गंभीर होता हूं, उतनी ही तुम्हें हंसने की सुविधा होती है। और जब मैं तुमसे कहता हूं हंसों तो मैं बड़ी गंभीरता से कह रहा हूं कि हंसो । यह कोई हंसी की बात नहीं है। इसे तुम हंसी हंसी में कही मत समझ लेना। इसे मैंने बड़ी गंभीरता से कहा है। क्योंकि हंसने को मैं साधना बना रहा हूं । मुस्कुराते हुए तुम परमात्मा के द्वार तक पहुं चोतुम जल्दी स्वीकार हो जाओगे।
एक आदमी मरा। उसके सामने ही रहने वाला एक दूसरा आदमी भी मरा । एक ही साथ दोनों मरे। दोनों परमात्मा के सामने मौजूद हुए। लेकिन बड़ा चकित हुआ वह आदमी । उसको स्वर्ग मिला यह तो ठीक था। यह सामने वाला आदमी, इसको स्वर्ग किसलिए मिल रहा है ! वह तो सदा प्रार्थना किया था; इसने तो कभी प्रार्थना भी न की । वह तो सदा पूजा किया इसने कभी पूजा भी न की । उसने प्रभु से पूछा कि यह जरा अन्याय है। यह निहायत पापी, सांसारिक! इसको किसलिए स्वर्ग मिल रहा है? मैं तो निरंतर पूजा किया, प्रार्थना किया। कभी एक दिन को तुझे भूला नहीं। सुबह याद किया दोपहर याद किया, सांझ याद किया, रात याद किया, याद कर-करके मर गया। जिंदगी भर तेरी याद
गुजारी!
तो परमात्मा ने कहा. 'इसीलिए। क्योंकि इस आदमी ने मुझे बिलकुल सताया नहीं। इसने न मुझे सुबह जगाया, न दोपहर जगाया, न रात जगाया - इसने मुझे सताया ही नहीं। तू जिंदगी भर मेरी खोपड़ी खाता रहा। तुझे नरक नहीं भेजा, यही काफी है। पूर्ण न्याय मांगता हो, तो तुझे नरक भेजना पड़े, निश्चित अन्याय हो रहा है। अन्याय यह हो रहा है कि तुझे भेजना तो नरक था।
तुम्हारे उदास, रोते हुए चेहरे परमात्मा को स्वीकार न होंगे। तुम फूल की भांति जाना तुम नाचते हुए जाना। तुम नाचते हुए अंगीकार हो जाओगे। तुम नाचते गए तो तुम्हारे हजार पाप क्षमा हो जाएंगे। तुम उदास, गंभीर, रोते हुए गए तो तुम्हारे हजार पुण्य भी काम नहीं आएंगे। और पुण्य ही क्या जो तुम्हें उदास कर जाए ?
इसलिए जब मैं हंसने के लिए कह रहा हूं, तो बड़ी गंभीरता से कह रहा हूं। इसे हंसी-हंसी में मत ले लेना। और मुझे तो गंभीर रहना पड़े तुम्हारी खातिर । नहीं तो तुम समझोगे हंसी-हंसी में कही थी बात। तुम शायद उसे गहरे में न लो। लेकिन तुम अगर मुझे पहचानोगे तो तुम पाओगे मुझसे ज्यादा गैर-गंभीर आदमी खोजना मुश्किल है। तुम अगर थोड़ा मुझमें झांकोगे तो निश्चित पाओगे कि वहां सिवाय नृत्य और हंसी के कुछ भी नहीं है।
जो मैं तुमसे कहता हूं जो मैं तुम्हें होने को कहता हूं वह हो कर ही कह रहा हूं। हालांकि