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बोल दो थे, मगर अनकहे रह गये ।
सैर करके चमन की मिला क्या हमें ? रंग कलियों का अब तक घुला ही नहीं ।
पूरी जिंदगी गुजर जाती है और कलियों का रंग भी नहीं घुल पाता। पूरी जिंदगी गुजर जाती है, कली खिल ही नहीं पाती। पूरी जिंदगी गुजर जाती है और तार छिड़ते ही नहीं वीणा के
सैर करके चमन की मिला क्या हमें ? रंग कलियों का अब तक घुला ही नहीं ।
तन के तट पर मिले हम कई बार पर
द्वार मन का अभी तक खुला ही नहीं ।
तो हम मिलते भी हैं, तो भी मिलते नहीं । अहंकार अकड़ाये रखता है। झुकते हैं तो भी झुकते नहीं। सिर झुक जाता है, अहंकार अकड़ा खड़ा रहता है।
तुम जरा गौर से देखना, जब तुम झुकते हो, सच में झुकते हो? जब हाथ जोड़ते हो, सच में हाथ जोड़ते हो? या कि सब धोखा है? या कि विनम्रता भी औपचारिकता है? या कि सब सामाजिक व्यवहार है? कुछ सत्य है या सब झूठ ही झूठ है? तुम किसी से कहते हो, मुझे तुमसे प्रेम है लेकिन यह तुम सच में मानते हो? है ऐसा? या किसी प्रयोजनवश कह रहे हो?
मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी उससे कह रही है कि अब तुम्हें मुझसे पहले जैसा प्रेम न रहा। अब तुम घर उस उमंग से नहीं आते जैसे पहले आते थे। अब तुम मुझे देख कर खिल नहीं जाते जैसे पहले खिल जाते थे।
मुल्ला अपना अखबार पढ़ रहा है। उसके सिर पर सलवटें पड़ती जाती हैं। और पत्नी कहे चली जा रही है, बुहारी लगाये जा रही है और कहे चली जा रही है। फिर वह कहती है कि नहीं, तुम्हें मुझसे बिलकुल प्रेम नहीं रहा; सब प्रेम खत्म हो गया। मुल्ला ने कहा कि है तुझसे, प्रेम मुझे तुझसे ही है और पूरा प्रेम है। अब सिर खाना बंद कर और अखबार पढ़ने दे!
कहे चले जाते हैं हम, जो कहना चाहिए। और जीवन कुछ और कहे चला जाता है। ओंठ कुछ कहते, आंख कुछ कहती है। ओंठ कुछ कहते हैं, पूरा व्यक्तित्व कुछ और कहता है। तुम जरा लोगों की आंखों पर खयाल करना, जब वे तुमसे कहते हैं हमें प्रेम है, तो उनकी आंख में कोई दीये नहीं जलते। सूनी पथराई आंखें! जब तुम्हें वे नमस्कार करते हैं और कहते हैं कि धन्यभाग कि आपके दर्शन हो गये, तब उनके चेहरे पर कोई पुलक नहीं आती। कोरे शब्द, थोथे शब्द! सब झूठा हो गया है। इस झूठ से जागने का नाम ही संन्यास है। कहीं भागने का नाम संन्यास नहीं है । यहीं तुम सच होना शुरू हो जाओ, प्रामाणिक होना शुरू हो जाओ, और तुम पाओगे कि जैसे-जैसे तुम प्रामाणिक होते हो, वैसे-वैसे जीवन में स्वर, संगीत, सुगंध, सौरभ खिलता है । सत्य की बड़ी गहरी सुगंध है! तुम मिले तो प्रणय पर छटा छा गई
चुंबनों सांवली सी घटा छा गई।