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दबे पांव आ मुझको रोशनी बुलाती है
हाथ थाम लेती है,
साथ ले टहलती है
सांझ के धुंधलके में
एक राह खुलती है।
भीतर बाहर कुछ
जगमग जगमग होता है
दिनभर की थकन
घुटन
वेदना पिघलती है
सांझ के धुंध
में
एक राह खुलती है।
पद - पद होता प्रयाग,
क्षण - क्षण होता संगम,
प्रीति तुम्हारी मेरे
प्राणों में पलती है।
सांझ के धुंधलके में
एक राह खुलती है।
प्रेम का मार्ग तो धुंधला है। रस का मार्ग तो मस्ती का मार्ग है। ज्ञान का मार्ग साक्षी का, प्रेम का मार्ग, बेहोशी का। ज्ञान का मार्ग समझ का, प्रज्ञा का प्रेम का मार्ग मदमस्तों का, मस्ती का । ज्ञान मार्ग पर ध्यान उपाय है, प्रेम के मार्ग पर प्रार्थना, भजन, नृत्य, गान। ज्ञान का मार्ग मरुस्थल से निकलता है; प्रेम का मार्ग कुंज, वनों से, वृंदावन से।
ज्ञान का मार्गी या सत्य का खोजी बड़ी प्रखर बुद्धि का प्रयोग करता है; तलवार की धार की तरह काटता चलता है। निषेध का मार्ग है सत्य का मार्ग । असत्य को काटते चलो, असार को तोड़ते चलो; फिर जो बच रहेगा अनटूटा, वही सार है। प्रेम का मार्ग कुछ भी तोड़ता नहीं, काटता नहीं। प्रेम के मार्ग में त्याग नहीं है, विराग नहीं है। प्रेम के मार्ग में तो जो तुम्हारे भीतर राग पड़ा ही हुआ है उसी राग के सहारे सेतु बना लेना है; जो तुम्हारे भीतर प्रेम की छोटी-सी रोशनी जल रही है, उसी को प्रगाढ़ कर लेना है। प्रेम का मार्ग तो आस्था का मार्ग है।
मैं गाता हूं
हर गीत मधुर विश्वास लिए ।
लहराती अंबर पर
तारों से टकराती,