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विवेचन-इस स्थान पर एक शंका उत्पन्न हो सकती है-जब अवधिज्ञान मूलतः क्षयोपशम के प्रभाव से होता है तब देवों और नारकों में भव जनित अथवा जन्मना कैसे हो सकता है ?
वस्तुतः इन्हें भी अवधिज्ञान क्षयोपशम द्वारा ही होता है क्योंकि इस प्रकार का क्षयोपशम उनमें होता ही है, किन्तु वह प्रकट होता है भव-परिवर्तन के साथ। यद्यपि नरक अथवा ॐ देवगतियाँ कर्मों के उदय की परिणति हैं किन्तु इन गतियों के अवश्यंभावी गुण के रूप में अवधिज्ञान प्रकट होने के कारण उसे भवप्रत्ययिक बताया गया है।
Elaboration-Here a doubt may arise-When avadhi-jnana 4 appears basically as an effect of kshayopasham how can gods and hell 卐 beings have it by birth ?
In fact even in gods and hell beings avadhi-jnana appears as an 41 effect of kshayopasham because the souls born as gods and hell
beings already have kshayopasham but it becomes evident only at the $ time of birth. Although birth as a god or a hell being is a result of the 55 #fruition of karmas, the avadhi-jnana in these beings is called
Bhavapratyayik because it is acquired as one of the fundamental 5 attributes of these gatis (realms).
८ : दोण्हं खओवसमियं, तं जहा-मणुस्साणं च पंचेन्दियतिरिक्खजोणियाणं च
को हेऊ खाओवसमियं ? __खाओवसमियं तयावरणिज्जाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं, अणुदिण्णाणं उवसमेणं
ओहिणाणं समुप्पज्जति। ___ अर्थ-प्रश्न-वह क्षायोपशमिक अवधिज्ञान किन्हें होता है ? ___ उत्तर-क्षायोपशमिक अवधिज्ञान भी दो प्रकार के जीवों को होता है-(१) मनुष्यों को, तथा (२) पंचेन्द्रिय तिर्यंचों को।
प्रश्न-इस क्षायोपशमिक अवधिज्ञान का हेतु क्या है ?
उत्तर-अवधिज्ञान पर आवरण करने वाले कर्मों में से जिनका उदय हो चुका उनका क्षय करने से तथा जिनका उदय नहीं हुआ है उनका उपशम करने से यह अवधिज्ञान उत्पन्न होता है।
8. Question-Who has this kshayopashamik avadhi-jnana?
Answer--Two types of beings have this kshayopashamik F avadhi-jnana-1. Human beings, and 2. Animals having five 卐 sense organs.
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卐 श्री नन्दीसूत्र
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Shri Nandisutra 5555555555555555550
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