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5555556 अर्थ-६७-अर्थों के अवग्रहण (प्रथम बोध) को अवग्रह उनके पर्यालोचन-विचारणा को ॐ ईहा, निश्चयात्मक निर्णय को अवाय तथा उपयोग की अविच्युति, (स्थिरता) स्मृति और वासना को धारणा कहते हैं।
६८ : उग्गह इक्कं समयं, ईहावाया मुहूत्तमद्धं तु।
कालमसंखं संखं च, धारणा होइ नायव्वा॥ अर्थ-६८-अवग्रह का काल परिमाण एक समय, ईहा और अवाय का काल प्रमाण ॐ अर्द्धमुहूर्त तथा धारणा का संख्यात व असंख्यात काल पर्यन्त जानना चाहिए।
६९ : पुढे सुणेइ सदं, रूवं पुण पासइ अपुढे तु।
___गंधं रसं च फासं च, बद्ध-पुढे वियागरे॥ अर्थ-६९-श्रोत्रेन्द्रिय को जो छूता है वही शब्द सुनाई देता है किन्तु रूप बिना नेत्र से +छूए ही देखा जाता है। गन्ध, रस और स्पर्श को बद्ध स्पृष्ट अर्थात् प्रगाढ़ सम्पर्क के द्वारा है जाना जाता है।
७0 : भासा-समसेढीओ, सदं जं सुणइ मीसियं सुणइ।
वीसेणी पुण सई, सुणेइ नियमा पराघाए। अर्थ-७0-बोलने वाले के द्वारा उच्चारित भाषा के पुद्गल समूह को समश्रेणी में 卐 स्थित श्रोता मिश्रितरूप से सुनता है। विश्रेणि में स्थित श्रोता नियमतः पराघात होने पर ही है सुन पाता है।
66. In brief there are four sequential divisions of abhinibodhik mati-jnana-avagrah, iha, avaya, and dharana.
67. The first encounter with or the reception of meaning 41 (information) is called avagrah. The analysis of the received
information is iha. The ascertaining decision is avaya. The ___stability of indulgence (avichyuti) in that is memory (smriti), and involvement in or attachment (vasana) with it is dharana. Si
68. The duration of avagrah is one samaya, that of iha and 5 i avaya is antarmuhurt (less than 48 minutes), and that of 4 dharana is both countable and uncountable period of time.
69. Sound is heard through a fleeting contact with organ of hearing but form is seen without contact. Smell, taste are si experienced by intimate contact.
- श्रुतनिश्रित मतिज्ञान
Shrutnishrit Mati-Jnana O5555555555555555555555555555550
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