Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 525
________________ �6 57 5 5 5 5 �55 5 5 5 5 5 5 5 46 6 4 5 6 7 45 46 45 46 4 45 46 45 4 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 55 卐 numerous great individuals. Gandikanuyog contains the stories of many past and future incarnations of all these. 5665 5 6 7 45 46 47 44555 5555 १०९ : से किं तं चूलिआओ ? चूलिआओ - आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलिआओ सेसाई पुव्वाइं अचूलि आई। सेत्तं चूलिआओ । अर्थ-प्र (v) चूलिका (V) CHULIKA - प्रश्न - चूलिका क्या है ? उत्तर - आदि के चार पूर्वों में चूलिकाएँ हैं, शेष चूलिकारहित हैं। यह चूलिका का वर्णन है। 109. Question-What is this Chulika? Answer-The first four Purvas have Chulikas and the remaining are without them. This concludes the description of Chulika. विवेचन - चूलिका या चूला पर्वत के शिखर या चोटी को कहते हैं । यह सामान्यतया पर्वत के आधार भाग से अलग गिनने में आता है । उसी प्रकार किसी शास्त्र के आधार भाग से पृथक् जो अतिरिक्त सामग्री दी जाती है उसे चूलिका कहते हैं । अर्थात् ग्रंथ में चर्चित विषय सम्बन्धी सामग्री जो परिशिष्ट रूप हो वह चूलिका कहलाती है । Elaboration-Chulika or chula means the peak or pinnacle of a mountain. This is generally counted separately from the base and body of a mountain. In the same way the extra material, other than the basic text, included in a scripture is called Chulika. In other words the extra material related to the basic text and given as appendix and/or addendum is called Chulika. श्री नन्दी सूत्र Jain Education International दृष्टिवादांग का उपसंहार CONCLUSION OF DRISHTIVADANG ११० : दिट्टिवायरस णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ। ( ४५४ ) �5 5 5 5 5 555 5546 47 48 4 45 46 456 45555 5 5 5 5 55 > 45 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 555 Shri Nandisutra For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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