Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 531
________________ )卐 ) ) ) ) ) ) 055555555555555555EO अर्थ-भूतकाल में इस द्वादशांग गणिपिटक की आज्ञा से तीर्थंकरों के आदेशों की आराधना करके अनन्त जीवों ने चार गतिरूपी संसार कान्तार को पार किया। म इसी प्रकार वर्तमान काल में इस द्वादशांग गणिपिटक की आज्ञा से आराधना करके के + अनन्त जीव चार गतिरूपी संसार कान्तार को पार करते हैं। इसी प्रकार अनागत काल में इस द्वादशांग गणिपिटक की आज्ञा से आराधना करके ॐ अनन्त जीव चार गतिरूपी संसार कान्तार को पार करेंगे। ॐ 113. In the past, following the Dvadashang or the orders of 5. Tirthankar Bhagavan, infinite beings have crossed the dense __forest of cycles of rebirth in four gatis (genuses). In the same way, during the present, following the Dvadashang or the orders of Tirthankar Bhagavan, infinite 5 beings cross the dense forest of cycles of rebirth in four gatis $i (genuses). $ In the same way, in future, following the Duadashang or the 41 orders of Tirthankar Bhagavan, infinite beings will cross the dense forest of cycles of rebirth in four gatis (genuses). विवेचन-जिस प्रकार घना जंगल अनेक प्रकार के हिंस्र जन्तुओं, अन्य कठिन बाधाओं तथा ! अंधकार से परिपूर्ण होता है और उसे पार करने के लिए तेज प्रकाश-पुंज की आवश्यकता होती 卐 है। उसी प्रकार जन्म-मरण व चार गतियों की बाधाओं व अंधकार से भरे इस संसाररूपी जंगल म को पार करने के लिए श्रुतज्ञानरूपी प्रकाश-पुंज की आवश्यकता होती है। आत्म-कल्याण और . * पर-कल्याण के मार्ग पर श्रुतज्ञान ही परम सहायक व आलम्बन है। अतः मुमुक्षुओं को इसके सम्यक् अर्थ को ग्रहण कर आचरण में उतारना चाहिए। कर्मों के मल से मुक्ति का यही उपाय है और यही अन्ततः इस संसार सागर से पार उतरने का साधन है। Elaboration-A dense forest is infested with many dangerous i animals, other difficulties, and darkness and one needs a bright 155 source of light in order to be able to cross it. In the same way, in order to cross the hurdles of cycles of rebirth in four gatis and the darkness of ignorance infesting this world, one needs the bright source of \i spiritual light that is shrut-jnana. On the path of development of the si 5 self and others the best guide and help is shrut-jnana. Therefore 5 those desirous of liberation should understand the right meaning of this and apply the same in one's conduct. This is the only way to get ) ) 听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听9年 ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) ) 4 श्री नन्दीसूत्र ( ४६० ) Shri Nandisutra O555555555555555555555FO Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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