Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 532
________________ 55555555555555號5555555555第5期 rid of the infection of karmas and finally, this is the only means to cross the ocean of mundane existence 令听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 गणिपिटक की शाश्वतता THE ETERNALITY OF GANIPITAK ११४ : इच्चेइ दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, कयाइ न भविस्सइ। भुविं च, भवइ अ, भविस्सइ । धुवे, निअए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, निच्चे। से जहानामए पंचत्थिकाए न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ । भुविं च, भवइ अ, भविस्सइ अ, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए अवट्टिए, निच्चे। एवामेव दुवालसंगे गणिपिडगे न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न 9 भविस्सइ। भुविं च, भवइ अ, भविस्सइ अ, धुवे, नियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, निच्चे। से समासओ चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ, खित्तओ, कालओ, भावओ, तत्थ दव्वओ णं सुअनाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइं जाणइ, पासइ, खित्तओ णं सुअनाणी उवउत्ते सव्वं खेत्तं जाणइ, पासइ, कालओ णं सुअनाणी उवउत्ते सव्वं कालं जाणइ, पासइ, भावओ णं सुअनाणी उवउत्ते सव्वे भावे जाणइ, पासइ। ___ अर्थ-जैसे ऐसा नहीं है कि पंचास्तिकाय कदाचित नहीं थे,, कदाचित् नहीं हैं और ॐ कदाचित् नहीं होंगे। वे भूतकाल में थे, वर्तमान काल में हैं और भविष्य में रहेंगे। वे ध्रुव हैं, नियत हैं, शाश्वत हैं, अक्षय हैं, अव्यय हैं, अवस्थित हैं और नित्य हैं। उसी प्रकार ऐसा नहीं है कि यह द्वादशांग गणिपिटक कदाचित् नहीं था, कदाचित् नहीं है। * है और कदाचित् नहीं होगा। यह भूतकाल में था, वर्तमान काल में है और भविष्य में रहेगा। यह ध्रुव है, नियत है, शाश्वत है, अक्षय है, अव्यय है, अवस्थित है और नित्य है। " __वह द्वादशांग संक्षेप में चार प्रकार से प्रतिपादित किया है-द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालत और भावतः, जैसे___ द्रव्य से श्रुतज्ञानी-उपयोग द्वारा सब द्रव्यों को जानता और देखता है। 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 श्रुतज्ञान ( ४६१ ) Shrut-Jnana 95%%%%岁岁男%%岁%%%%%%%%%%步步岁男男巧%%%%%%% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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