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€45 46 46 46 46 46 VE VE VE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE राजा,
उत्तर - ज्ञाताधर्मकथा सूत्र में नगरों, उद्यानों, चैत्यों, वनखण्डों, समवसरणों, माता-पिता, धर्माचार्य, धर्मकथा, इहलोक - परलोक की ऋद्धि विशेष, भोग परित्याग, दीक्षा, पर्याय, श्रुत अध्ययन, तप-उपधान, संलेखना, भक्त प्रत्याख्यान, पादोपगमन, देवलोकगमन, में जन्म, पुनः बोधि लाभ और अन्तःक्रिया आदि विषयों का वर्णन है ।
अच्छे कुल
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धर्मकथांग में दस वर्ग हैं जिनमें एक-एक धर्मकथा में पाँच-पाँच सौ आख्यायिकाएँ हैं,
एक-एक आख्यायिका में पाँच-पाँच सौ उप-आख्यायिकाएँ हैं और एक-एक उपाख्यायिका के पाँच-पाँच सौ आख्यायिका - उपआख्यायिकाएँ हैं । इस प्रकार पूर्वापर सब मिलकर साढ़े तीन करोड़ कथानक हैं । ऐसा कहा गया है।
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ज्ञाताधर्मकथा में परिमित वाचना, संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढ, संख्यात श्लोक,
संख्यात, निर्युक्तियाँ, संख्यात संग्रहणियाँ तथा संख्यात प्रतिपत्तियाँ हैं ।
अंगार्थ की अपेक्षा में यह छठा अंग है। इसमें दो श्रुतस्कन्ध, १९ अध्ययन, १९ उद्देशन
काल, तथा १९ समुद्देशन काल हैं। इसका पद परिमाण संख्यात सहस्र पदाग्र हैं। इसमें
संख्यात अक्षर, अनन्त गम, अनन्त पर्याय, परिमित त्रस व अनन्त स्थावर हैं। इसमें
शाश्वत, कृत, निबद्ध व निकाचित द्वारा सिद्ध जिन-प्रणीत भावों का आख्यान है, प्ररूपणा
है, दर्शन है, निदर्शन है तथा उपदर्शन है।
इसका अध्ययन करने वाला इससे एकात्म हो जाने पर ज्ञाता एवं विज्ञाता हो जाता
ऐसी चरण-करण रूप प्ररूपणा इसमें की गई है।
यह ज्ञाताधर्मकथासूत्र का वर्णन है।
88. Question - What is this Jnatadharmakatha Sutra ?
Answer-In Jnatadharmakatha Sutra topics like cities, gardens, chaityas, forests, samavasarans, kings, parents, religious leaders, religious tales, special powers acquired during this birth and others, renouncing mundane indulgences,
initiation, modes or variations, study of shrut, observation of
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If austerities, ultimate vow, bhakt pratyakhyan, paadopagaman, reincarnation as god, rebirth in a good clan, regaining of 5 enlightenment, and last rites, etc. have been discussed.
In Dharmakathang there are 10 vargs having one story and five hundred akhyayikas (side stories) each. Each of these akhyayikas have five hundred sub-akhyayikas and each of these
श्री नन्दी सूत्र
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Shri Nandisutra
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