Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 481
________________ 5 examples) (nidarshit), and simplified (with the help of discourse style) (upadarshit). It has been presented in such charan-karan style that if a 4 person is engrossed in its studies, he becomes a scholar and an ॐ expert of the subject. This concludes the description of Vyakhyaprajnapti. विवेचन-व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र का प्रसिद्ध नाम भगवतीसूत्र है। इसमें ४१ शतक हैं। १ से ८, १२ से १४ तथा १८ से २० इन चौदह शतकों में दस-दस उद्देशक हैं, १५वें शतक में उद्देशक + नहीं है, और शेष शतकों में न्यूनाधिक उद्देशक हैं। सूत्रों की संख्या ८६७ है। भगवतीसूत्र की विवेचन शैली प्रश्नोत्तरप्रधान है। अधिकतर संवाद भगवान महावीर और गणधर गौतम स्वामी के बीच हैं किन्तु अन्य अनेक संवाद कतिपय' श्रावक-श्राविकाओं, साधुओं द्वारा परिव्राजक, संन्यासियों, देवताओं, इन्द्रों, श्रावकों आदि के बीच भी हैं। __वर्तमान में उपलब्ध अन्य सभी सूत्रों से भगवतीसूत्र विशालकाय तथा वहुविध विषयों का ॐ दुरूह आगम है। इसमें पण्णवणा, जीवाभिगम, औपपातिक, राजप्रश्नीय, आवश्यक, नन्दी और जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति सूत्रों के उल्लेख तथा उद्धरण मिलते हैं। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है * कि इसका संकलन बहुत बाद में हुआ है। इसमें सैद्धान्तिक, ऐतिहासिक, द्रव्यानुयोग, चरण-करणानुयोग जैसे विषयों के विस्तार के अतिरिक्त अनेक ऐसे विषय भी चर्चित हैं जिन्हें समझना सामान्यतया दुरूह है। Elaboration—The popular name of Vyakhyaprajnapti is 45 Bhagavatı Sutra. It has 41 shataks (100 verses). In the fourteen 4 shataks numbering 1 to 8, 12 to 14, and 18 to 20 there are 10 4 uddeshaks each. In the 15th shatak there is no uddeshak. In the remaining shataks the number of uddeshaks is inconsistent. The total number of sutras is 867, The elaborations in Bhagavatı Sutra are in question-answer style. Majority of dialogues are between Bhagavan Mahavir and Ganadhar Gautam, however, there are many other dialogues between shravaks, 4 shravikas, ascetics, parivrajaks, sanyasis, gods, Indras, etc. Among the extant sutras, Bhagavatı Sutra is the most 5 voluminous. It includes a variety of subjects and is difficult to 5 4 understand. It contains references of and excerpts from numerous 4 4 scriptures including Pannavana, Jivabhigam, Aupapatik, i 69听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 乐乐 $ $$$$$ $ ॐ श्री नन्दीसूत्र ( ४१० ) Shri Nandisutra 55555555555555555550 ऊ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542