Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 505
________________ 公听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 第5覽斯斯第明醫劳斯勞斯勞斯斯断实验劳斯紫紫野家所需资货 (I) परिकर्म 1. PARIKARMA ९७ : से किं तं परिकम्मे ? परिकम्मे सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-(१) सिद्धसेणिआपरिकम्मे, (२) मणुस्ससेणिआपरिकम्मे, (३) पुट्ठसेणिआपरिकम्मे, (४) ओगाढसेणिआपरिकम्मे, (५) उवसंपज्जणसेणिआपरिकम्मे, (६) विप्पजहणसेणिआपरिकम्मे, । (७) चुआचुअसेणिआपरिकम्मे। अर्थ-प्रश्न-यह परिकर्म क्या है ? उत्तर-परिकर्म सात प्रकार का है-(१) सिद्ध-श्रेणिका परिकर्म, (२) मनुष्य श्रेणिका ॐ परिकर्म, (३) पुष्ट-श्रेणिका परिकर्म, (४) अवगाढ-श्रेणिका परिकर्म, (५) विप्रजहत-श्रेणिका परिकर्म, (६) उप-सम्पादन-श्रेणिका परिकर्म, और (७) च्युताच्युत-श्रेणिका परिकर्म। 97. Question—What is this Parikarma? Answer-Parikarma is said to be of seven types--(1) Siddha s Shrenika Parikarma, (2) Manushya Shrenika Parikarma, 5 (3) Pushta Shrenika Parikarma, (4) Avagadh Shrenika 4 Parikarma, (5) Viprajahat Shrenika Parikarma, (6) Up sampadan Shrenika Parikarma, and (7) Chyutachyut Shrenika Parikarma. विवेचन-गणितशास्त्र में संकलना आदि १६ प्रकार के परिकर्मों का विधान है। जिनका अध्ययन करने से गणितशास्त्र को व्यापकता से तथा शीघ्र समझने की योग्यता आ जाती है।” उसी प्रकार दृष्टिवाद में भी इन सात परिकर्मों का विधान है। इनका भलीभॉति अध्ययन करने से 5 दृष्टिवाद में समाए सभी विषयों को समझ पाना सरल हो जाता है। अन्य शब्दों में दृष्टिवाद का प्रवेश द्वार परिकर्म है। Elaboration In the subject of mathematics 16 types of parıkarmas (processes like adding) are mentioned. By studying these one acquires the capacity to study mathematics fast and in detail. In the same way these seven parikarmas have been provided in Drishtivad. A proper study of these makes it easy to understand all the subjects contained within Drishtivad. In other words parikarma is the gateway to Drishtivad. 企听听听听听斯听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F听听听听听听听听听听听听听听听 श्री नन्दीसूत्र ( ४३४ ) Shri Nandisutra 经历步步步步步步步牙牙牙牙牙牙牙步步步步步步步步步玩男男%%%%%% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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