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(१) सिद्ध-श्रेणिका परिकर्म
(1) SIDDHA SHRENIKA PARIKARMA ___ ९८ : से किं तं सिद्धसेणिआपरिकम्मे ? म सिद्धसेणिआपरिकम्मे चउद्दसविहे पन्नत्ते तं जहा-(१) माउगापयाइं
(२) एगडिअपयाइं, (३) अट्ठपयाई, (४) पाढोआगासपयाई,१ (५) केउभूअं. (६) रासिबद्धं, (७) एगगुणं, (८) दुगुणं, (९) तिगुणं, (१०) केउभूअं, (११) पडिग्गहो, (१२) संसारपडिग्गहो, (१३) नंदावत्तं, (१४) सिद्धावत्तं।
से त्तं सिद्धसेणिआपरिकम्मे। ___ अर्थ-प्रश्न-सिद्ध-श्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है ?
उत्तर-सिद्ध -श्रेणिका परिकर्म १४ प्रकार का है-(१) मातृकापद, (२) एकार्थकपद, (३) अर्थपद, (४) पृथगाकाशपद, (५) केतुभूत, (६) राशिबद्ध, (७) एकगुण, (८) द्विगुण, (९) त्रिगुण, (१०) केतुभूत, (११) प्रतिग्रह, (१२) संसार प्रातग्रह, *(१३) नन्दावर्त, तथा (१४) सिद्धावर्त।
यह सिद्ध-श्रेणिका परिकर्म का वर्णन है। 98. Question-What is this Siddha Shrenika Parikarma?
Answer--Siddha Shrenika Parikarma is said to be of 45 fourteen types-1. Matrika pad, 2. Ekarthak pad, 3. Arth pad, 34. Prithakagash pad, 5. Ketubhoot, 6. Rashibaddha, 7. Ek Guna,
8. Dviguna, 9. Triguna, 10. Ketubhoot, 11. Pratigrah,
12. Samsar Pratigrah, 13. Nandavart, and 14. Siddhavart. 5. This concludes the description of Siddha Shrenika 5 Parikarma. म विवेचन-यहाँ सिद्ध-श्रेणिका परिकर्म के चौदह भेदों का केवल नामोल्लेख किया गया है,
अन्य सूचना उपलब्ध नहीं है। इस कारण इन नामों के आधार पर विषयों का अनुमान ही
लगाया जा सकता है। इस परिकर्म के नाम से यह लगता है कि इसमें विद्यासिद्धि आदि का वर्णन म रहा होगा। मातृकापद, एकार्थपद तथा अर्थपद का सम्बन्ध मंत्र विद्या के अतिरिक्त व्याकरण तथा
शब्दकोश से भी रहा होगा। इसी प्रकार राशिबद्ध, एकगुण, द्विगुण आदि का सम्बन्ध गणित विद्या से रहा होगा।
१ मुनिश्री जम्बूविजय जी द्वारा संशोधित नन्दीसूत्र मे (४) पाढो, (५) आमासपयाइं। यह दो भेद मानकर 卐 १०वॉ केउभूयं पाठ नहीं दिया है। कुछ प्रतियों में पाढो आमासपयाइ पाठ है।
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卐श्रुतज्ञान
( ४३५ )
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