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中野野野境需岁岁的功勞路55555第5期听助听助听雪中
(८) पडिग्गहो, (९) संसारपडिग्गहो, (१०) नन्दावत्तं, (११) विप्पजहणसेणिआ-5 म परिकम्मे।
अर्थ-प्रश्न-विप्रजहत्-श्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है ? म उत्तर-विप्रजहत्-श्रेणिका परिकर्म ग्यारह प्रकार का है
(१) पृथगाकाशपद, (२) केतुभूत, (३) राशिबद्ध, (४) एकगुण, (५) द्विगुण, (६) त्रिगुण, (७) केतुभूत, (८) प्रतिग्रह, (९) संसार प्रतिग्रह, (१०) नन्दावर्त, तथा । ॐ (११) विप्रजहदावर्त। में यह विप्रजहत्-श्रेणिका परिकर्म का वर्णन है।
103. Question—What is this Viprajahat Shrenika 5 Parikarma?
Answer-Viprajahat Shrenika Parikarma is said to be ॐ of eleven types-1. Prithakagash. pad, 2. Ketubhoot, 5 3. Rashibaddha, 4. Ek Guna, 5. Dviguna, 6. Triguna,
7. Ketubhoot, 8. Pratigrah, 9. Samsar Pratigri h, 10. Nandavart, 5 and 11. Viprajahadavart.
This concludes the description of Viprajahat Shrenika Parikarma.
विवेचन-विप्रजहत् का अर्थ है त्याज्य अथवा जिसे छोड देना है। अर्थानुसार यह अनुमान ॐ किया जा सकता है कि इसमें सभी त्यागने योग्य वस्तुओं तथा विषयों का विस्तार में वर्णन रहा है म होगा। संयोग श्रेयस्कर भी होता है और हानिकारक भी। जिसका संयोग हानिकारक हो उससे
वियोग करना श्रेयस्कर होता है। यह वियोग का शास्त्र है। अतः इसमें विभिन्न दृष्टिकोणों से उन ॐ सभी बातों की चर्चा होगी जो किसी न किसी परिस्थिति में कभी न कभी के लिए त्याज्य है अतः इसमें अध्यात्म, आरोग्य व नीति विषयक त्याज्य तत्त्वों का वर्णन हो सकता है।
Elaboration-Viprajahat means worth rejecting or that which has to be left away. On the basis of the title it may be deduced that this must contain detailed discussion about all the things that are worth rejecting. Contact may be beneficial as well as harmful. It is s better to loose a contact that is harmful. This section deals with separation or loosing contact. Therefore it must contain discussions about all those things, from numerous angles, that are worth rejecting at some point of time under some conditions for some one.
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श्रुतज्ञान
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