Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 482
________________ HEELEAEEEEEEEEEEEEEEEEEEफफफफफफफफफफ E O Rajprashniya, Avashyak, Nandı, and Jambudveepprajnapti. This y indicates that it is a compilation of a comparatively later period. ___Besides discussions on philosophy, history, metaphysics, discipline and conduct, it also contains a variety of other subjects that are 45 generally found abstract and difficult to understand. (६) ज्ञाताधर्मकथासूत्र परिचय 6. JNATADHARMAKATHA SUTRA ८८ : से किं तं नायाधम्मकहाओ? नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराइं, उज्जाणाइं चेइयाइं, वणसंडाइं, समोसरणाइं, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइय-परलोइया इड्डिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पव्वज्जाओ, परिआया, सुअपरिग्गहा, तवोवहाणाइं, संलेहणाओ, ॐ भत्तपच्चक्खाणाइं, पाओवगमणाई, देवलोगगमणाई, सुकुलपच्चायाइओ, पुणबोहिलाभा, म अंतकिरियाओ अ आघविज्जति। दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्म-कहाए पंच-पंच अक्खाइआसयाइं, म एगमेगाए अक्खाइआए पंच-पंचउवक्खाइआसयाई, एगमेगाए उत्खाइआए पंच-पंच है अक्खाइया-उवक्खाइआसयाई, एवमेव सपुव्वावरेणं अटुट्ठाओ कहाणगकोडीओ हवंति जत्ति समक्खायं। नायाधम्मकहाणं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ निजुत्तीओ, संखिज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ।। से णं अंगठ्ठयाए छठे अंगे, दो सुअखंधा, एगुणवीसं अज्झयणा, एगुणवीसं ॐ उद्देसणकाला, एगुणवीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं संखेज्जाक अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड卐 निबद्ध-निकाइआ, जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परूविजंति, , दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति। , से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ। से तं नायाधम्मकहाओ। अर्थ-प्रश्न-यह ज्ञाताधर्मकथा क्या है ? 听听听听听听听听听F听听听听F听听听听听听听听听听听听听听听听听听听f听听听听听听听听听听听听听 巧乐场步步步步步步步步步步步步步步步步步另%%%%%%%%%步步牙牙牙牙%%%%%%%%的 श्रुतज्ञान ( ४११ ) Shrut.Jnana 4 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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