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岁岁听听%%岁岁岁外货场 %%%%%%% %% %%% 46 many effective spiritual practices like--study of shrut, austerities, i Faccepting pratima, tolerating afflictions, ultimate vow, etc. All the 96 examples in this work are written in an inspiring style.
(१०) प्रश्नव्याकरणसूत्र परिचय
10. PRASHNAVYAKARAN SUTRA ९२ : से किं तं पण्हावागरणाइं ?
पण्हावागरणेसु णं अठुत्तरं पसिण-सयं, अठुत्तरं पसिणापसिण-सयं, तं जहाअंगुट्टपसिणाई, बाहुपसिणाई, अदागपसिणाई, अन्ने वि विचित्ता विज्जाइसया, + नागसुवण्णेहिं सद्धिं दिव्वा संवाया आघविज्जति।
पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ, संखेज्जाओ पडिवत्तीओ।।
से णं अंगठ्ठयाए दसमे अंगे, एगे सुअक्खंधे, पणयालीसं अज्झयणा, पणयालीसं. ॐ उद्देसणकाला, पणयालीसं समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा
अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कडनिबद्ध-निकाइआ, जिण-पन्नत्ता भावा आघविज्जति पन्नविज्जति, परूविज्जति दसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति।
से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ। से तं पण्हावागरणाई। अर्थ-प्रश्न-प्रश्नव्याकरण सूत्र में क्या है ?
उत्तर-प्रश्नव्याकरणसूत्र में १०८ प्रश्न (-पूछने पर जिनके द्वारा शुभाशुभ संबंधी के समाधान मिले), १०८ अप्रश्न (-जिनके द्वारा शुभाशुभ संबंधी उत्तर बिना पूछे ही मिले),
१०८ प्रश्नाप्रश्न (जिनके द्वारा शुभाशुभ संबंधी उत्तर पूछने पर भी मिले और बिना पूछे भी
स्वतः मिले), जैसे--अंगुष्ठ प्रश्न, आदर्श प्रश्न आदि हैं। इसमें अन्य विचित्र विद्यातिशयों का + वर्णन भी है। नाग कुमारों और सुपर्ण कुमारों के साथ मुनियों के दिव्य संवाद भी दिए गए हैं।
प्रश्नव्याकरणसूत्र में परिमित वाचनाएँ हैं, संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढा, संख्यात श्लोक, संख्यात नियुक्तियाँ, संख्यात संग्रहणियाँ तथा संख्यात प्रतिपत्तियाँ हैं। ॐ अंगों की गणना से यह दसवाँ अंग है। इसमें एक श्रुतस्कन्ध, ४५ अध्ययन, ४५
उद्देशन काल व ४५ समुद्देशन काल हैं। इसका पद परिमाण संख्यात सहन पदाग्र है। इसमें 5
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श्री नन्दीसूत्र
( ४२४)
Shri Nandisutra
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