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In Samvayang Sutra also, like Sthanang Sutra, there are proper definitions of things in the same number-dependent style. After 4 arriving at 100 it proceeds in hundreds—200, 300, 400, and so on up 4 to 1,000—then in thousands and so on up to a crore or ten million. Si
At the end is given brief description of the twelve Angas along with the bio-data, like names, names of parents, dates of birth, etc., of the sixty three shalaka purush (epochal personages).
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(५) व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र परिचय
5. VYAKHYAPRAJNAPTI SUTRA ८७ : से किं तं विवाहे? विवाहे णं जीवा विआहिज्जंति, अजीवा विआहिज्जंति, जीवाजीवा विआहिज्जंति, ससमए विआहिज्जंति, परसमए विआहिज्जति ससमय-परसमए विआहिज्जंति, लोएक विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति लोयालोए विआहिज्जति।
विवाहस्स णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा, __ सिलोगा, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखिज्जाओ संगहणीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ।
से णं अंगठ्ठयाए पंचमे अंगे, एगे सुअखंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साइं, दस समुद्देसगसहस्साइं, छत्तीसं वागरणसहस्साइं, दो लक्खा अट्ठासीई पयसहस्साइं पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइआ जिण-पण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदसिज्जंति, उवदंसिज्जंति।
से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ।। से तं विवाहे।
अर्थ-प्रश्न-व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र में क्या वर्णन है ? ___ उत्तर-व्याख्याप्रज्ञप्ति में जीवों की व्याख्या है, अजीवों की व्याख्या है, जीवाजीवों की व्याख्या है, स्वपक्ष की व्याख्या है, परपक्ष की व्याख्या है, स्वपक्ष-परपक्ष की व्याख्या है, लोक की व्याख्या है, अलोक की व्याख्या है तथा लोकालोक की व्याख्या है।
व्याख्याप्रज्ञप्ति में परिमित वाचनाएँ, संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढ, संख्यात श्लोक, संख्यात नियुक्तियाँ, संख्यात संग्रहणियाँ, तथा संख्यात प्रतिपत्तियाँ हैं।
- 卐 श्री नन्दीसूत्र
( ४०८ )
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