Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 410
________________ ALESE5555555555555449595 听听听听听听听听FFFFFF折$$$$$F$$$$$$$$ श्रुतज्ञान SHRUT-JNANA ७२ : से किं तं सुयनाणपरोक्खं? सुयनाणपरोक्खं चोहसविहं पन्नत्तं, तं जहा-(१) अक्खरसुयं, (२) अणक्खर-सुयंक (३) सण्णि-सुयं, (४) असण्णि-सुयं, (५) सम्मसुयं, (६) मिच्छसुयं, (७) साइयं, म (८) अणाइयं, (९) सपज्जवसियं, (१०) अपज्जवसियं, (११) गमियं, (१२) अगमियं, (१३) अंगपविट्ठ, (१४) अणंगपविट्ठ। अर्थ-प्रश्न-यह श्रुतज्ञान-परोक्ष, कितने प्रकार का है ? उत्तर-श्रुतज्ञान-परोक्षके चौदह भेद इस प्रकार हैं (१) अक्षरश्रुत, (२) अनक्षरश्रुत, (३) संज्ञिश्रुत, (४) असंज्ञिश्रुत, (५) सम्यक्श्रुत, (६) मिथ्याश्रुत, (७) सादिकश्रुत, (८) अनादिकश्रुत, (९) सपर्यवसितश्रुत (१०) अपर्यवसितश्रुत, (११) गमिकश्रुत, (१२) अगमिकश्रुत, (१३) अंगप्रविष्टश्रुत तथा + (१४) अनंगप्रविष्टश्रुत। 72. Question-What are the types of this shrut-jnanasi paroksh? Answer-Shrut-jnana paroksh is said to be of fourteenyi types-1. Akshar shrut, 2. Anakshar shrut, 3. Sanjni shrut, 4.5 Asanjni shrut, 5. Samyak shrut, 6. Mithya shrut, 7. Sadik shrut, 8. anadik shrut, 9. Saparyavasit shrut, 10. Aparyavasit shrut,'s 11. Gamik shrut, 12. Agamik shrut, 13. Angapravisht shrut, andsi 14. Anangapravisht shrut. विवेचन-मतिज्ञान के समान ही श्रुतज्ञान भी परोक्ष ज्ञान है। मतिज्ञान होने पर श्रुतज्ञान होता है अथवा मतिपूर्वक ही श्रुतज्ञान होता है अतः इसका वर्णन मतिज्ञान के पश्चात् किया है। __वास्तव में प्रथम दो भेद मुख्य हैं। अक्षरश्रुत तथा अनक्षरश्रुत। इन दोनों में अन्य भेद समावष्टि हो जाते हैं। किन्तु सामान्य बुद्धि धारक व्यक्तियों के लाभ के लिए इनका विस्तार कर १४ भेद कर दिये गए हैं। ___Elaboration-Like mati-jnana, shrut-jnana is also indirect knowledge. Shrut-jnana is acquired after having mati-jnana. In otherus words shrut-jnana can be acquired only with the help of mati-jnana.fi Therefore it has been mentioned after mati-jnana. %F $听听听听听听%斯sssss 卐 श्रुतज्ञान 助听听写步步步实%%% ( ३३९ ) %%%%% %%%%%% Shrut-Jnanda %%%%%%% % %% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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