Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 476
________________ .ma. m . . . m. . ame CHHE77555575555555755755555555557SSETH 卐 (the state of deep meditation), ten interpretations of dreams, ten types of truth, ten types of lies, ten types of mixed speech, etc.. 5 As Sthanang Sutra compiles well classified information about 4 numerous subjects it has been accepted as a very useful encyclopedia. 听听听听听听听听听sf听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$ $$ 听听听听听听听听听听: (४) समवायांगसूत्र परिचय 4. SAMVAYANG SUTRA ८६ : से किं तं समवाए? समवाए णं जीवा समासिज्जंति, अजीवा समासिज्जंति, जीवाजीवा समासिज्जंति, म ससमए समासिज्जइ, परसमए समासिज्जइ, ससमय-परसमए समासिज्जइ, लोए * समासिज्जइ, अलोए समासिज्जइ, लोआलोए समासिज्जइ। समवाए णं एगाइआणं एगुत्तरिआणं ठाण-सय-विवडिआणं भावाणं परूवणा ॐ आघविज्जइ, दुवालसविहस्स य गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जइ। समवायस्स णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे, एगे सुअक्खंधे, एगे अज्झयणे, एगे उद्देसणकाले, एगे ॐ समुद्देसणकाले, एगे चोआलसयसहस्से पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परूविज्जति दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जति। से एवं आया, एवं नाया, एवं विण्णाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ। से तं समवाए। अर्थ-प्रश्न-समवायांगसूत्र में क्या है ? उत्तर-समवायांगसूत्र में जीव का समाश्रयण (सम्यक् रूप से प्ररूपणा) किया गया है, अजीव का समाश्रयण किया गया है, जीवाजीव का समाश्रयण किया गया है, स्वदर्शन का समाश्रयण किया गया है, परदर्शन का समाश्रयण किया गया है, स्वदर्शन-परदर्शन का समाश्रयण किया गया है, लोक का समाश्रयण किया गया है, अलोक का समाश्रयण किया 卐 गया है तथा लोकालोक का समाश्रयण किया गया है। 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听ss F听听 ॐ श्रुतज्ञान ( ४०५ ) Shrut-Jnana 中场与当场断与防务与55步步步步务劳斯斯野戰第55555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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