Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 440
________________ $5 % EE%EEE5% E5%%%%%%%%%%%%%% 80. Question—What is this ‘other than Avashyak? Answer—Other than Avashyak is said to be of two typesE (1) Kalik, and (2) Utkalik. Question-What is this Utkalik shrut? Answer-Utkalik shrut is said to be of many types— 55 1. Dashuaikalik, 2. Kalpakalp, 3. Chullakalpashrut, 4. Maha-S kalpashrut, 5. Aupapatik, 6. Rajprashniya, 7. Jivabhigam, म 8. Prajnapana, 9. Mahaprajnapana, 10. Pramadapramad, ki 11. Nandi, 12. Anuyogadvar, 13. Devendrastav, 14. Tandula-41 vaicharik, 15. Chandravidya, 16. Suryaprajnapti, 17. Paurushimandal, 18. Mandalapradesh, 19. Vidyacharan' Vinishchaya, y 20. Ganividya, 21. Dhyanavibhakti, 22. Maranavibhakti, 4 23. Atmavishuddhi, 24. Vitaragashrut, 25. Samlekhanashrut, $i 26. Viharakalp, 27. Charanavidhi, 28. Aturpratyakhyan, 5 29. Mahapratyakhyan, and others. This concludes the description of Utkalik shrut. ___ विवेचन-कालिक-जो श्रुत दिन तथा रात्रि के प्रथम और अन्तिम प्रहरों में पढे जाते हैं। अर्थात् जिनका अध्ययन काल (समय) निश्चित है वे कालिक श्रुत होते हैं। उत्कालिक-जो श्रुत अस्वाध्याय के समय को छोड़ शेष किसी भी समय पढे जाते हैं वे उत्कालिक श्रुत होते हैं। उत्कालिक सूत्रों का संक्षिप्त परिचय दशवकालिक और कल्पाकल्प-ये दोनों सूत्र स्थविर आदि कल्पों की आचार मर्यादा का प्रतिपादन करते हैं। महाप्रज्ञापनासूत्र में प्रज्ञापनासूत्र की तुलना में जीवादि पदार्थों का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्रमादाप्रमाद सूत्र में मद्य, विषय, कषाय, निद्रा तथा विकथा आदि प्रमाद के विषयों का वर्णन है। अपने संयमाचरण रूप कर्तव्य एवं साधना में सतर्क रहना अप्रमाद है और इसके विपरीत आचरण प्रमाद। प्रमाद संसार-भ्रमण का कारण है और अप्रमाद मोक्ष का। सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र में सूर्य के स्वरूप गति का विस्तार से वर्णन है। पौरुषीमण्डल सूत्र में अहोरात्र अथवा दिन और रात के विभाजक कालमान का वर्णन है। ॐ जैसे-मुहूर्त, प्रहर आदि। 4)听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 卐 श्रुतज्ञान ( ३६९) Shrut-Jnana. 055555555555se Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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