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卐 मण्डलप्रदेश सूत्र में सूर्य के एक मण्डल से दूसरे मण्डल में प्रवेश करने सम्बन्धी विवरण है।
विद्याचरण विनिश्चय सूत्र में विद्या (ज्ञान) और चारित्र का सविस्तार प्रतिपादन है।
गणिविद्या सूत्र में गणी (नायक) के कर्तव्य, गुण तथा इतिवृत्त का उल्लेख है। गच्छ व गण के नायक को गणी कहते हैं।
ध्यानविभक्ति सूत्र में आतं, रौद्र, धर्म और शुक्ल इन चारों ध्यानों का विशेष विवरण है। मरणविभक्ति सूत्र में अकाम मरण, सकाममरण आदि मरण के विभिन्न विकल्पों का वर्णन है। आत्मविशुद्धि सूत्र में आत्मा के विशुद्धिकरण के विषय को विस्तार से प्रतिपादित किया है। वीतरागश्रुत में वीतराग के स्वरूप का वर्णन है। संलेखनाश्रुत में द्रव्य संलेखना, भाव संलेखना आदि संलेखना सम्बन्धी विषयों का वर्णन है। विहारकल्प सूत्र में स्थविरकल्प का विस्तार से वर्णन किया है। चरणविधि सूत्र में चारित्र के भेद-प्रभेदों का उल्लेख है। आतुरप्रत्याख्यान सूत्र में रुग्णावस्था में प्रत्याख्यान आदि क्रियाएँ करने का विधान दिया है।
महाप्रत्याख्यान सूत्र में जिनकल्प, स्थविरकल्प तथा एकाकी विहारकल्प में प्रत्याख्यान का विधान है।
इन सभी उत्कालिक सूत्रों में अधिकतर उनके नाम के अनुसार ही विषय है। इनमें से कुछ ॐ सूत्र वर्तमान में अनुपलब्ध हैं। जो श्रुत द्वादशांग गणिपिटक के अनुसार हैं वे पूर्णतया प्रामाणिक
माने जाते हैं। ___Elaboration-Kalik-The shrut that are read during the first # and last quarters of the day and the night. In other words Kalik shrut 4
are those which are studied during some specified hours of the day and the night.
Utkalik—These can be read any time except for the hours during which studies are prohibited.
Brief introduction of Utkalik sutras
1, 2. Dashvaikalik and Kalpakalp—These two works describe the 5 codes of conduct as well as do's and don'ts related to various levels 4 and conditions of ascetics.
8, 9. Prajnapana and Mahaprajnapana-Contain brief and 5 extensive details respectively, about jiva and other substances 卐 (dravya).
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श्री नन्दीसूत्र
(३७० )
Shri Nandisutra 5555555555555555550
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