Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 439
________________ 4 4 45 46 45 LELLELE LE LE LEC LE LC LE LC LE LE LETELITI कालिक-उत्कालिक श्रूत परिचय KALIK AND UTKALIK SHRUT ८0 : से किं तं आवस्सय-वइरितं? आवस्सयवइरित्त दुविहं पण्णत्तं, तं जहा-कालिअं च उक्कालियं च। से किं तं उक्कालिअं? उक्कालिअं अणेगविहं पण्णत्तं, तं जहा-(१) दसवेआलिअं, (२) कप्पिआकप्पिअं, 4 (३) चुल्लकप्पसुअं, (४) महाकप्पसुअं, (५) उववाइअं, (६) रायपसेणिअं, (७) जीवाभिगमो, (८) पन्नवणा, (९) महापन्नवणा, (१०) पमायप्पमायं, (११) नन्दी, (१२) अणुओगदाराइं, (१३) देविंदत्थओ, (१४) तंदुलवेआलिअं, (१५) चंदाविज्झायं, 4 (१६) सूरपण्णत्ती, (१७) पोरिसिमण्डलं, (१८) मंडलपवेसो, (१९) विज्जाचरण विणिच्छओ, (२०) गणिविज्जा, (२१) झाणविभत्ती, (२२) मरणविभत्ती, 5 का (२३) आयविसोही, (२४) वीयरागसुअं, (२५) संलेहणासुअं, (२६) विहारकप्पो, 卐 (२७) चरणविही, (२८) आउरपच्चक्खाणं, (२९) महापच्चक्खाणं, एवमाइ। से तं उक्कालि। अर्थ-प्रश्न-आवश्यक-व्यतिरिक्त श्रुत कितने प्रकार के हैं ? उत्तर-आवश्यक-व्यतिरिक्त श्रुत दो प्रकार के हैं-(१) कालिक, और (२) उत्कालिक। प्रश्न-उत्कालिक श्रुत कितने हैं ? उत्तर-उत्कालिक अनेक प्रकार के बताये हैं-जैसे-(१) दशवैकालिक, (२) कल्पाकल्प, (३) चुल्नकल्पश्रुत, (४) महाकल्पश्रुत, (५) औपपातिक, (६) राजप्रश्नीय, (७) जीवाभिगम, (८) प्रज्ञापना, (९) महाप्रज्ञापना, (१०) प्रमादाप्रमाद, (११) नन्दी, (१२) अनुयोगद्वार, (१३) देवेन्द्रस्तव, (१४) तन्दुलवैचारिक, (१५) चन्द्रविद्या, (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति, (१७) पौरुषीमण्डल, (१८) मण्डलप्रदेश, (१९) विद्याचरण विनिश्चय, (२०) गणिविद्या, (२१) ध्यानविभक्ति, (२२) मरणविभक्ति, (२३) आत्मविशुद्धि, (२४) वीतरागश्रुत, (२५) संलेखनाश्रुत, (२६) विहारकल्प, (२७) चरणविधि, (२८) आतुरप्रत्याख्यान, और (२९) महाप्रत्याख्यान इत्यादि। यह सब उत्कालिक श्रुत का वर्णन है। 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FFFFFFFF听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF 卐 श्री नन्दीसूत्र ( ३६८ ) Shri Nandisutra si $$$$$$%%%$55555555555555555555中 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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