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ॐ उत्तर-अंगबाह्य दो प्रकार के बताये हैं-(१) आवश्यक, और (२) आवश्यक के 5 अतिरिक्त।
प्रश्न-यह आवश्यक-श्रुत कितने हैं?
उत्तर-आवश्यक-श्रुत ६ प्रकार के हैं-(१) सामायिक, (२) चतुर्विंशतस्तव, (३) वन्दना, (४) प्रतिक्रमण, (५) कायोत्सर्ग, और (६) प्रत्याख्यान।
यह आवश्यक का वर्णन है। 79. Question-What is this gamik shrut? Answer-Drishtivad is gamik shrut. Question-What is this agamik shrut?
Answer–Kalik shrut is agamik shrut. This concludes the description of gamik and agamik shrut.
Also, they are, in brief, said to be of two types— (1) Angapravisht, and (2) Angabahya. Question-What is this Angabahya shrut? Answer-Angabahya shrut is said to be of two types(1) Avashyak, and (2) other than Avashyak. Question-What is this Avashyak shrut?
Answer-Avashyak shrut is said to be of six types卐 (1) Samayik, (2) Chaturvinshatstav, (3) Vandana, (4) Pratikraman, (5) Kayotsarg, and (6) Pratyakhyan.
This concludes the description of Avashyak shrut.
विवेचन-गमिक-श्रुत-जिस श्रुत के आरम्भ, मध्य और अन्त में थोडे अल्पमात्र परिवर्तन के 卐 साथ बार-बार उन्हीं शब्दों का उच्चारण होता है उसे गमिक-श्रुत कहते हैं। उदाहरणार्थ
उत्तराध्ययनसूत्र के दसवें अध्ययन में “समयं गोयम ! मा पमायए' यह पद प्रत्येक गाथा के चौथे चरण में दिया गया है। दृष्टिवाद इसी प्रकार का श्रुत है।
अगमिक-श्रुत-जिसके पाठों में समानता न हो अथवा बार-बार पुनरुक्ति न हो वह अगमिक-श्रुत कहलाता है। आचारांग आदि सभी कालिक श्रुत अगमिक हैं।
अंगप्रविष्ट-सर्व लक्षणों से युक्त पुरुष के १२ अंग होते हैं जैसे-दो पैर, दो जाँधे, दो उरू, दो पार्श्व, दो भुजाएँ, एक ग्रीवा और एक मस्तक। उसी प्रकार श्रुत पुरुष के भी १२ अंग होते : 卐 हैं। शरीर के मुख्य अवयव अंग कहलाते हैं इस कारण श्रुत पुरुष के मुख्य अवयव होने से, ये 4 श्री नन्दीसत्र
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