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* अर्थ-प्रश्न-यदि मनःपर्यवज्ञान पर्याप्त-संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनष्यों को होता है , म तो क्या वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्त संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को, मिथ्यादृष्टि
पर्याप्त-संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को अथवा मिश्रदृष्टि पर्याप्त-संख्यातवर्षी# कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को उत्पन्न होता है?
उत्तर-गौतम ! सम्यग्दृष्टि पर्याप्त-संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को होता है। मिथ्यादृष्टि पर्याप्त-संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को और मिश्रदृष्टि पर्याप्त% संख्यातवर्षी-कर्मभूमिज-गर्भज मनुष्यों को नहीं होता।
33. Question-When you say that it (Manah-paryav-jnana) is acquired by fully developed, karmabhumi inhabitant, 5 4 placental human beings of finite life-span do you mean those i 5 with samyak-drishti, mithya-drishti, or mishra-drishti ?
Answer-Gautam ! It is acquired only by the fully developed 4 i karmabhumi inhabitant placental human beings of finite life
span with samyak-drishti and not by those with mithya-drishti, # or mishra-drishti. म विवेचन-मनुष्य दृष्टि भेद से तीन प्रकार के होते हैं-सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और मिश्रदृष्टि। म ये इस प्रकार हैं
(१) सम्यग्दृष्टि-जिस मनुष्य की दृष्टि, भाव, विचारधारा आदि सत्य के सन्मुख हो, वीतराग म जिन द्वारा प्ररूपित तत्त्व की दिशा में प्रेरित हो अर्थात् जिसे सत्य और तत्त्व पर सम्यक् श्रद्धा हो
वह सम्यग्दृष्टि मनुष्य कहलाता है। म (२) मिथ्यादृष्टि-सम्यक् के विपरीत जो असत्य और अतत्त्व के प्रति श्रद्धा व आग्रह रखता में हो उसे मिथ्यादृष्टि कहते हैं।
(३) मिश्रदृष्टि-जो न सत्य को स्वीकार कर सके और मिथ्या को त्याग सके ऐसे अनिर्णय 9 भावी दिशाहीन मूढ व्यक्ति को मिश्रदृष्टि कहते हैं।
Elaboration-With respect to drishti (spiritual insight) there are $three classes of human beings—samyak-drishti, mithya-drishti and fi mishra-drishti. These are defined as follows
1. Samyak-drishti-A person whose insight, feelings, thought process, etc. work in the direction of truth and are aimed at the s fundamentals propounded by the Veetaraga (the Detached one) is \i known as samyak-drishti manushya or a man with right insight. In S
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