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O55555555555555555555555555555550 ॐ सभी बेहाल हो गए। तभी एक सैनिक ने राजा से कहा-"हमें तो इस विपत्ति से उबरने का कोई 5 मार्ग नहीं सूझता। कोई अनुभवी वयोवृद्ध हो तो संकट टाल सकता है।" राजा ने सेना में घोषणा * करवाई कि “सेना में कोई अनुभवी व्यक्ति हो तो आकर सलाह दे।”
सौभाग्यवश सेना में एक वयोवृद्ध योद्धा वेश बदलकर आया हुआ था। उसे उसका पुत्र राजा के पास ले आया। राजा ने विनयपूर्वक कहा-“मेरी सेना को प्यास बुझाने के लिए जल 卐 उपलब्ध हो ऐसा कोई उपाय कीजिए।" वृद्ध सैनिक ने तनिक विचारकर कहा-“महाराज, सेना 卐
में माल ढोने वाले गधे हैं उन्हें खुला छोड़ दीजिए और सेना को उसी ओर ले चलिए जिधर गधे
जाएँ। वे जहाँ रुककर धरती सूंघने लगें उस स्थान पर खोदने से जल प्राप्त हो जाएगा।" राजा ॐ ने वैसा ही किया और कुछ दूर जाकर जल प्राप्त हो गया। यह उस वृद्ध सैनिक की वैनयिकी बुद्धि का ही प्रताप था कि सेना का विपत्ति से निस्तार हुआ।
८. लक्षण-एक व्यापारी ने अपने घोड़ों की देखभाल के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया और वेतन के रूप में उसे दो घोड़े देने को कहा। उस व्यक्ति ने वेतन स्वीकार कर लिया और 卐 घोड़ों की सार-सँभाल और रक्षा करने लगा। कुछ समय बीतने पर उसे व्यापारी की पुत्री से स्नेह ॐ हो गया। सेवक चतुर था। उसने कन्या से पूछा-"इन सब घोडों में कौन-सा घोड़ा श्रेष्ठ है?"
लड़की ने उत्तर दिया-“यों तो सभी घोड़े उत्तम हैं किन्तु जो पत्थरों से भरे कुप्पे को वृक्ष से ॐ गिराने पर उसकी आवाज से भयभीत न हों वे सर्वश्रेष्ठ और लक्षण-सम्पन्न घोड़े हैं।" ।
लड़की के कथनानुसार सेवक ने सब घोड़ों की परीक्षा कर ली और दो श्रेष्ठ घोड़े उनमें से 卐 छाँट लिये। जब वेतन लेने का समय आया तो उसने व्यापारी से वे ही दोनों घोड़े मॉग लिये।
व्यापारी सोच में पड़ गया-'ये दोनों अश्व ही मेरे सभी घोड़ों में सर्वश्रेष्ठ और बहुमूल्य हैं। ये * देने से तो मेरी बहुत हानि हो जाएगी।" उसने सेवक को समझाने की बहुत चेष्टा की, अन्य 卐 कोई भी दो अश्व लेने को कहा। पर सेवक टस से मस नहीं हुआ।
उलझन में भरा व्यापारी घर के भीतर अपनी पत्नी के पास गया और बोला-"यह सेवक तो 卐 बड़ा चतुर और बुद्धिमान् है। इसने अपने सर्वश्रेष्ठ घोड़े पसन्द कर लिए हैं। वेतन के रूप में वे
अश्व लेने से अच्छा तो यह होगा कि उससे अपनी पुत्री का विवाह कर दें और सदा के लिए ॐ यहाँ रहने को विवश कर दें।" के व्यापारी की पत्नी यह सुनकर आगबबूला हो गई-"आपका माथा तो नहीं फिर गया है ? ॐ एक नौकर को अपनी बेटी ब्याहोगे?" । + व्यापारी ने समझाया-“यदि हमारे वे बहुमूल्य घोड़े चले गए तो हमारी बहुत हानि होगी। वे ॐ बहुमूल्य ही नहीं हमारे लिए शुभ भी हैं। फिर यह सेवक भी गुण-सम्पन्न है। इसे जामाता बना
लेने से घोड़े भी बच जाएँगे और इनकी सार-सँभालकर इनमें वृद्धि करने वाला निजी व्यक्ति भी
मिल जाएगा। ऐसा सुदर्शन व बुद्धिमान पति पाकर हमारी कन्या भी सुखी होगी और सदा हमारी 卐 आँखों के सामने रहेगी।" ये सब बातें सुनकर व्यापारी की पत्नी ने सहमति दे दी। व्यापारी ने ॥ 卐 मतिज्ञान (वैनयिकी बुद्धि)
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