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six iha, six avaya and six dharana) with the example of pratibodhak (the caller) and mallak (the earthen bowl). Question-What is this example of the caller Vyanjanavagrah ?
Answer-The example of the caller is like this
When a caller calls a sleeping person with some name like this "Hey someone! Hey someone!"
The disciple asks the guru-"Then does his ears receive the particles entering the ears for one samaya, two samaya and so on up to ten samaya, or those entering for countable and uncountable samayas?"
The guru explains-"The particles entering the ears in one samaya are not received, neither are those entering in two to ten samaya or even countable number of samayas. Only those entering the ears in uncountable number of samayas are received.
This concludes the description of vyanjanavagrah with the help of the example of the caller.
about
व्यंजनावग्रह का कम से कम कालमान एक आवलिका के असंख्येय भाग मात्र होता है और अधिक से अधिक पृथक्त्व ( २ से लेकर ९ तक की संख्या) श्वास निश्वास प्रमाण - स्वस्थ व्यक्ति की नब्ज की एक धड़कन के बराबर होते हैं ।
चायक का अर्थ है प्रेरक । प्रज्ञापक- कथन करने वाले गुरु के लिए है।
श्री
नन्दीसूत्र
विवेचन - जैन कालगणना के अनुसार 'समय' शब्द काल के पारम्परिक अर्थ में प्रयुक्त होता। वहाँ ‘समय' काल की सूक्ष्मतम अविभाज्य इकाई का नाम है। सामान्य मापदण्ड पर इसका 5 काल समझने के लिए बताया गया है कि एक बार पलक झपकने में जितना समय लगता है वह असंख्यात समयों के बराबर होता है । अतः एक समय से संख्यात समय तक जो पुद्गल कान में प्रविष्ट होते हैं वे किसी भी ज्ञान के अव्यक्त अंशों के प्रेरक होते हैं। व्यक्त अंश के प्रेरक वे पुद्गल बनते हैं जो असंख्यात समयों तक प्रविष्ट होते रहते हैं।
नहीं
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Elaboration-In the Jain system of measurement of time the word ‘samaya' is not used in its traditional meaning (samaya = time). Here it means the smallest indivisible unit of time. Broadly speaking it is explained as the time taken in a wink is equivalent to
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Shri Nandisutra
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