Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

Previous | Next

Page 392
________________ A ihaninan SHEEEEEESO uncountable number of samayas. Accordingly the particles entering i ears for one to countable number of samayas convey only the 5 inexpressible parts of any information. An expressible knowledge is 41 carried into the ears by those particles that continue to enter the ears 4 for uncountable number of samayas. The minimum duration of vyanjanavagrah is only inexpressible 4 fraction of one avalika and maximum being prithaktva breath 11 (inhalation + exhalation) (this is approximately equal to the duration of a single pulse of healthy human being). লুকু কা তুষার EXAMPLE OF THE BOWL ६३ : से किं तं मल्लगदिट्टतेणं? से जहानामए केइ पुरिसे आवागसीसाओ मल्लगं गहाय तत्थेगं उदगबिंदु पक्खेविज्जा, से नढे, अण्णेऽवि पक्खित्ते सेऽवि नटे, एवं पक्खिप्पमाणेसु ॐ पक्खिप्यमाणेसु होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं रावेहिइत्ति, होही से उदगबिंदू जे णं तंसि मल्लगंसि ठाहिति, होही से उदगबिंदू जे णं तं मल्लगं भरिहिति, होही से उदगबिंदू जेणं मल्लगं पवोहेहिति। ___ एवामेव पक्खिप्पमाणेहि-पक्खिप्पमाणेहिं अणन्तेहिं पुग्गलेहिं जाहे तं वंजणं पूरि होइ, ताहे 'हु' ति करेइ, तो चेव णं जाणइ के वेस सद्दाइ? तओ ईहं पविसइ, तओ 卐 जाणइ अमुगे एस सद्दाइ, तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं हवइ, लओ णं धारणं 4 पविसइ, तओ णं धारेइ संखिज्जं वा कालं, असंखिज्जं वा कालं। ___ अर्थ-और वह मल्लक का दृष्टान्त किस प्रकार है ? उत्तर-मल्लक का दृष्टान्त-जैसे कोई पुरुष कुम्हार के अलाव से कोरा प्याला उठावे और उसमें एक बूंद पानी डाले तो वह बूंद नष्ट हो जाती है। तब फिर एक बूंद डाले तो है वह भी नष्ट हो जाती है। इस प्रकार निरन्तर बूंदें डालते रहने पर एक बूंद वह होगी जोक * उसे गीला कर देगी, एक बूंद वह होगी जो उसमें ठहर जाएगी, फिर एक बूँद ऐसी होगी। जो पात्र को भर देगी और एक बूंद ऐसी होगी जो प्याले से छलक पड़ेगी। 卐 इसीप्रकार बार-बार डालते रहने पर वह व्यंजन अनन्त पुद्गलों से पूरित होता है। तब है वह पुरुष 'हुंकार' करता है किन्तु वह निश्चयपूर्वक यह नहीं जानता कि वह शब्द किसका 在听听听听听听听听听听FFFFFFFFFF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 虽身为五步步步步步步步步步步步步步步步步$$$%%%%%%%%% - + श्रुतनिश्रित मतिज्ञान ( ३२३ ) 步步步步步步步步步步步步步实%%%%%%% Shrutnishrit Mati-Jnana %%%%%%步步步 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542