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| २१. चित्र परिचय
Illustration No.21
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व्यंजनावग्रह : दो दृष्टान्त १. प्रतिबोधक का दृष्टान्त-कोई व्यक्ति दूर से किसी को नाम लेकर पुकारता है-“ओ भाई" यह शब्द ध्वनियाँ उसके कानों में आकर गिरती हैं। तब सर्वप्रथम उसके भीतर ॐ अव्यक्त ज्ञान होता है . . . .
२. बार-बार शब्द ध्वनियाँ कानों में टकराने से कानों में शब्द भर जाते हैं तो वह जाग उठता है, कौन है यह?
इस प्रकार क्रमशः असंख्यात समय के बाद वह प्रतिबुद्ध हो उठता है।
१. मल्लक का दृष्टान्त-एक व्यक्ति कुम्हार के आवे से एक सिकोरा लेता है। उसमें ॐ एक-एक बूंद पानी टपकाता है। पानी की बूंद गिरते ही सूख जाती है। बूंद-बूंद गिरते-गिरते ॐ सिकोरा गीला होता है। फिर सिकोरा भर जाता है और आखिरी बूंद वह होती है जब ॐ सिकोरा भरने के बाद पानी बाहर गिरने लगता है। इसी प्रकार श्रोत्रेन्द्रिय की मन्द क्षमता
के कारण क्रमशः असंख्यात समय पश्चात् ही व्यंजनावग्रह-शब्द को ग्रहण कर पाता है। ॐ चित्रानुसार एक प्रथम स्थिति, एक अन्तिम स्थिति समझें। (सूत्र ६३ का वर्णन पढ़ें)
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VYANJANAVAGRAH : TWO EXAMPLES 1. The example of pratibodhak--Some one calls from a distance4 "Hey, brother." These sound waves enter his ears and he first of all fi acquires inexpressible knowledge. ..
2. With repeated striking of these waves his ears are filled with the 卐 sound and he is awakened. The first question is-Who is this?. . . . # This process continues and after uncountable samayas he acquires the
knowledge. ____ 1. The example of mallak-A man picks up a bowl from a potter's
kiln. He pours water into it drop by drop. The drop vanishes the 41 moment it touches the bowl. With this drop by drop pouring the bowl
becomes wet, then it is filled, and at last the drops spill out of it. In
the same way due to the low capacity of the organ of hearing, it 1 receives the sound only after uncountable samayas. The illustrations
depict the first and the last stages. (63)
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