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5 55EEEEEEO उत्तर-अर्थावग्रह छह प्रकार का बताया गया है-(१) श्रोत्रेन्द्रिय अर्थावग्रह, 卐 (२) चक्षुरिन्द्रिय अर्थावग्रह, (३) घ्राणेन्द्रिय अर्थावग्रह, (४) जिह्वेन्द्रिय अर्थावग्रह, (५) स्पर्शनेन्द्रिय अर्थावग्रह, तथा (६) नो-इन्द्रिय अर्थावग्रह।
56. Question-What are the types of this arthavagrah? 5 Answer-Arthavagrah is said to be of six types
(1) Shrotrendriya arthavagrah, (2) Chakshurindriya
arthavagrah, (3) Ghranendriya arthavagrah, (4) Jihvendriya fi arthavagrah, (5) Sparshanendriya arthavagrah, and (6) No
indriya arthavagrah. 5 विवेचन-रूपादि का जो सामान्य मात्र ग्रहण होता है वही अर्थावग्रह है। जैसे एक छोटी-सी
चिनगारी को सत् प्रयत्न से प्रकाश-पुंज में परिवर्तन किया जा सकता है वैसे ही सामान्य बोध म होने पर जिज्ञासा, चिन्तन, मनन, अनुप्रेक्षा, विमर्श आदि द्वारा उसका विराट रूप बनाया जा ॥
सकता है। अर्थ की जो प्रथम धूमिल-सी झलक मिलती है वही अर्थावग्रह है। यह पाँचों इन्द्रियों तथा मन के माध्यम से होता है।
मन को नो-इन्द्रिय कहा जाता है। मन के दो भेद हैं। एक द्रव्य मन और दूसरा भाव मन। मनःपर्याप्ति नामकर्म के उदय से जीव में वह शक्ति उत्पन्न होती है जिसके द्वारा मनोवर्गणा के + पुद्गलों को ग्रहण करके द्रव्य मन की रचना की जाती है। जैसे योग्य आहार आदि से देह पुष्ट
होती है वैसे ही मनोवर्गणा के नए-नए पुद्गलों को ग्रहण करने से मन अपने कार्य का सामर्थ्य ॐ बढ़ाता है। अपनी कार्यक्षमता के लिए पुद्गल पर निर्भर होने के कारण वह द्रव्य मन कहलाता है। - द्रव्य मन की क्रिया के फलस्वरूप जीव का मनन रूप जो परिणाम है वह भाव मन कहलाता म है। द्रव्य मन के बिना भाव मन का अस्तित्व नहीं होता किन्तु भाव मन से रहित द्रव्य मन का
अस्तित्व बना रह सकता है। सामान्यतया मन इन्द्रियों का सहयोगी बना रहता है। जब वह 5 इन्द्रियों की सहायता के बिना स्वतंत्र कार्य करता है तब नोइन्द्रिय अर्थावग्रह घटित होता है।
Elaboration–The superficial perception of form etc. is arthavagrah. As a tiny spark can be turned into a source of light with 55 right effort, in the same way simple knowledge can be turned into 4 45 voluminous knowledge with the help of curiosity, thinking,
contemplation, meditation, examination etc. The fleeting glance of
information one gets is arthavagrah. This is accomplished the cugh 55 five sense organs and mind. ____Mind is called No-indriya. It has two divisions. One is dxavya man
or physical mind (brain) and the other is bhava man or the thinking - श्रुतनिश्रित मतिज्ञान
( ३११ )
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