Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 316
________________ i/ COMr : AUS ACANCELEASELSEAS4555555555 0 ___एक बार ग्रामानुग्राम विहार करते हुए भगवान महावीर राजगृह नगर में पधारे। राजाक श्रेणिक सपरिवार भगवान के दर्शन करने गया। राजकुमार नन्दिषेण भी अपनी पत्नियों के साथराजपरिवार में सम्मिलित था। उसने जब भगवान महावीर का प्रवचन सुना तो उसे वैराग्य उत्पन्न हो गया। माता-पिता की अनुमति ले उसने दीक्षा ग्रहण कर ली। कुशाग्र बुद्धि वाले नन्दिषेण मुनि ने शीघ्र ही गुरुजनों से अंग शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया तथा धर्म-प्रचार हेतु उपदेश देने - लगे। कुछ समय बीतने पर भगवान महावीर से आज्ञा लेकर अपनी शिष्य-मण्डली सहित वे राजगृह से प्रस्थान कर गये। बहुत काल तक अनेक ग्रामों व नगरों में विचरने के पश्चात् एक दिन मुनि नन्दिषेण को आभास हुआ कि उनका एक शिष्य सांसारिक सुखों की ओर आकृष्ट हो गया है। कुछ विचार 5 कर उन्होंने राजगृह की ओर प्रयाण किया। जब वे राजगृह पहुँचे तो राजा श्रेणिक अत्यन्त हर्षित हुए और पूरे परिवार सहित मुनिवर के दर्शन हेतु आये। उनके साथ मुनि नन्दिषेण की पूर्व पलियाँ भी थीं। ___ नन्दिषेण के विचलित शिष्य ने जब अपने गुरु की अत्यन्त रूपवती पूर्व-पत्नियों को देखा तो वह चौंक उठा और आत्म-ग्लानि से भर गया। उसने सोचा-“मेरे गुरु ने तो अप्सराओं जैसी पत्नियों और राजसी ठाट को त्याग कर मुनि-धर्म ग्रहण किया है और पूरी निष्ठा से उसका पालन कर रहे हैं और मैं इससे कहीं क्षुद्र सामान्य गृहस्थ जीवन को पुनः स्वीकार करने को लालायित हो रहा हूँ। धिक्कार है मुझे, जो वमन किये का पुनः सेवन करना चाहता है।" मन के इस संवेग भावोदय ने उसे प्रायश्चित्त कर संयम मार्ग पर दृढ़ होने को प्रेरित किया। ___Elaboration-1. Abhaya Kumar-Chandpradyot, the king of Ujjaini, one day sent an emissary to his brother-in-law (husband ofre his wife's sister), king Shrenik of Rajagriha, with a message__“If you want to live in peace at once send the unique Bunkchood necklace, F Sechanak elephant, Abhaya Kumar and queen Chelna to me.” King Shrenik was infuriated to get this message and said—“Ans emissary enjoys immunity, so I am not giving you any punishment. 55 Go back and tell your king that if he wants to live in peace he should i send the Fire-chariot, Analgiri elephant, Vajrajangha the emissary, and queen Shiva Devi to me at once." This answer added fuel to the fire. Chandpradyot attacked 4 Rajagriha with his large army and soon laid a siege around the city. King Shrenik also made all necessary preparations. But his song Abhaya Kumar, who was endowed with Parinamiki Buddhi, 5 requested—“Sire, please don't jump into the war at once. Chandpradyot could be defeated by intrigue without fighting a war. 45 फ्रमममम卐ES445卐44ESSES55555K जमममममम卐yyySEF卐SHEETC किया। 听听听听听听听听听听听 卐 मतिज्ञान (पारिणामिकी बुद्धि) ( २५१ ) Mati-jnana (Parinamiki Buddhi) 紧步步紧點贸警紧紧紧紧紧紧期货斯野戰第岁男发货%%%% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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