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| २०. चित्र परिचय
Illustration No. 20
श्रुत-निश्रित मतिज्ञान के चार भेद १. अवग्रह-(उदाहरण) घने जंगल में दूर खड़ा व्यक्ति बहुत दूर एक छाया रूप आकृति को देखता है। आकृति देखकर उसे सामान्य बोध होता है-कुछ है।
२. ईहा-फिर कुछ देर देखने के बाद वह विचार करता है यह क्या है? क्या होना चाहिए?
३. अपाय-दूर की छाया आकृति अधिक स्पष्ट होती है और वह सोचता है यह स्थूलकाय आकृति कोई हाथी होना चाहिए। निर्णय की यह स्थिति अपाय है।
४. धारणा-अब तक आकृति बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है और यह निश्चय स्थिर हो गया कि यह हाथी है। यह स्थिर निर्णय धारणा है। (सूत्र ५३ से ६० तक)
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FOUR TYPES OF SHRUT NISHRIT MATI-JNANA
1. Avagraha-(example) In a dense jungle a man sees a hazy shape from a distance. He gets aware of some presence only.
2. Tha—After looking at it for sometime he thinks-- What is this? What can it be?
3. Avaya—The hazy shape gets clearer, and he thinks this large shape should be an elephant. This state of arriving at some conclusion is avaya
4. Dharana--Now the shape is absolutely clear and it is certain that it is an elephant. This conclusive decision is dharana. (53-60)
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