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नागदत्त पारिणामिक बुद्धि के कारण ही विपरीत परिस्थितियों में भी सदा समभाव रखने सफल हुआ और अन्ततः अपना ही नहीं, अन्य आत्माओं का भी कल्याण कर सका ।
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(११) अमात्यपुत्र- काम्पिल्यपुर के राजकुमार ब्रह्मदत्त की उनके अमात्य धनु की पारिणामिकी बुद्धि के प्रभाव से लाक्षागृह से बच निकलने की कथा "अमात्य" शीर्षक में दी जा चुकी है। यह दृष्टान्त उसी के बाद की घटना है।
वरधनु तथा कुमार ब्रह्मदत्त घूमते-घामते जंगल में आगे बढ़ रहे थे । ब्रह्मदत्त को प्यास लगी 5 तो वरधनु उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर पानी की खोज में गया। उधर दीर्घपृष्ठ को जब यह ज्ञात हुआ कि कुमार ब्रह्मदत्त लाक्षागृह से बचकर भाग निकला है तो उसने चारों ओर की खोज में सैनिक दौड़ा दिये। पानी की खोज में गये वरधनु को ऐसे ही सैनिकों की
राजकुमार 5 एक
टोली ने देख लिया और उसे पकड़कर कुमार का पता पूछने लगे । वरधनु ने चिल्लाकर कहा - " अरे सैनिको, मुझे छोड़ दो मैं नहीं जानता ब्रह्मदत्त कहाँ है । "
ये शब्द जैसे ही कुमार के कानों में पड़े वह समझ गया कि वरधनु उसे सावधान करने लिए ही चिल्ला रहा है। कुमार तत्काल अपने घोड़े पर सवार हुआ और चुपचाप वहाँ से खिसक लिया। उधर सैनिकों ने वरधनु के चीखने-चिल्लाने की परवाह किए बिना उसे पीटना आरम्भ कर दिया। चतुर वरधनु अचानक निश्चेष्ट होकर गिर पड़ा। सैनिक उसे मृत समझ वहाँ से आगे बढ़ गये। कुछ देर बाद वरधनु उठा और राजकुमार की खोज में निकल पड़ा । बहुत खोजने पर भी उसे राजकुमार कहीं नहीं मिला किन्तु उसे निर्जीवन और संजीवन नाम की दो वन्य औषधियाँ प्राप्त हो गईं।
वरधनु निराश हो नगर की ओर लौटा। नगर के बाहर उसे एक चाण्डाल. मिला जिसने उसे बताया कि उसके परिवार के सभी सदस्यों को राजा ने बंदी बना लिया है। अपने परिवार को छुड़ाने के लिए वरधनु ने एक योजना बनाई और चाण्डाल को भली-भाँति समझाकर निर्जीवन औषधि देकर भेज दिया । चाण्डाल औषधि लेकर बन्दीगृह में वरधनु के परिवार वालों से मिलने गया। औषधि उन्हें दी और वरधनु का संदेश कह दिया। परिवार के सभी सदस्यों ने औषधिको अपने नेत्रों पर लगाया और उसके प्रभाव से मृत जैसे होकर गिर पड़े।
राजा को ये समाचार मिले। उसने चाण्डाल को बुलाया और सभी मृत शरीरों को श्मशान में ले जाकर जला देने को कहा । वरधनु की योजना सफल हो गई । चाण्डाल उसके परिवार के सदस्यों के मृत जैसे शरीर गाड़ी में डालकर श्मशान में ले गया और वरधनु द्वारा बताये स्थान पर सुरक्षित रख दिया। वरधनु को सूचना मिलने पर वह वहाँ आया और संजीवनी औषधि को मृत जैसे शरीरों की आँखों पर लगा दिया। कुछ ही देर में सभी स्वस्थ होकर उठ बैठे । वरधनु ने उनकी सुरक्षा का प्रबन्ध किया और पुनः ब्रह्मदत्त की खोज में निकल गया ।
सब
गहरे जंगल में उसने कुमार को खोज निकाला। इसके बाद दोनों मित्रों ने अपने बुद्धि-बल शौर्य से सेना एकत्र की और अनेक राज्यों को जीता। अनेक कन्याओं से ब्रह्मदत्त ने विवाह 55
और
श्री
नन्दीसूत्र
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