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%%穿紧紧紧 紧 写写给 (२) वैयिकी बुद्धि
2. VAINAYIKI BUDDHI ५० : वेणइया बुद्धी
भरनित्थरण-समत्था, तिवग्ग-सुत्तत्थ-गहिय-पेयाला।
उभओ लोग फलवई, विणयसमुत्था हवई बुद्धी॥ 卐 अर्थ-वैनयिकी बुद्धि-विनय से उत्पन्न बुद्धि कार्य-भार को वहन करने में समर्थ होती है
है। वह त्रिवर्ग (धर्म, अर्थ, काम) का प्रतिपादन करने वाले सूत्र व अर्थ का सार ग्रहण म करने वाली होती है तथा इहलोक और परलोक दोनों में फलदायी होती है।
निमित्ते-अत्थसत्थे अ, लेहे गणिए अ कूव अस्से य। गद्दभ-लक्खण गंठी, अगए रहिए य गमिया य॥ सीआ साडी दीहं च तणं, अवसव्वयं च कुंचस्स।
निव्वोदए य गोणे, घोडग पडणं च रुक्खाओ। है इसे स्पष्ट करने वाले उदाहरण इस प्रकार हैं-१. निमित्त, २. अर्थशास्त्र, ३. लेखन, ४. # गणित, ५. कूप, ६. अश्व, ७. गर्दभ, ८. लक्षण, ९. ग्रन्थि, १0. अगड़, ११. रथिक, १२.
गणिका, १३. शीताशाटी, १४. नीव्रोदक, तथा १५. गौ बलों की चोरी, घोड़े की मृत्यु तथा वृक्ष ॐ से गिरना।
50. Wisdom acquired humbly is capable of handling the 5 responsibility of work at hand. It absorbs the essence of the text 卐 propagating the triplet (religion, wealth and mundane duties)
and its meaning. It accrues benefits during this birth and
the next. The examples that elaborate this definition areॐ 1. Augury, 2. Economics, 3. Writing, 4. Mathematics, 5. Thes 卐 Well, 6. The Horse, 7. The Donkey, 8. The Signs, 9. The
Knot, 10. Agad, 11. The Charioteer, 12. The Courtesan, 16 13. Sheetashati, 14. Rain-water, and 15. Theft of Cattle, Death 55 of the Horse and Falling from a tree.
विवेचन-वैनयिकी बुद्धि के उदाहरणस्वरूप संकलित कथाएँ निम्न प्रकार हैं
१. निमित्त-किसी नगर में एक सिद्ध-पुरुष रहता था। उसके दो शिष्य थे जिन पर गुरु का के समान स्नेह था। वह दोनों को समान भाव से निमित्त शास्त्र का अध्ययन कराता था। दोनों में से ॐ एक शिष्य बहुत विनयशील था तथा गुरु की आज्ञा का यथावत् पालन करता था। गुरु उसे जोक
पाठ देते उसे ध्यानपूर्वक सुनता और निरन्तर उस पर चिन्तन-मनन करता। जिस विषय पर जो - मतिज्ञान (वैनयिकी बुद्धि)
( २२१ )
Mati-jnana (Vainayiki Buddhi)
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