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jnana its effect.. Information of the present is the subject of matijnana whereas the subjects of shrut-jnana are all the three facets of time. In one sensed to four sensed beings there is no dravya (physical) shrut but even they have bhava shrut (thought ). ( See Illustration 16 )
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मति और श्रुत के दो रूप
TWO FORMS OF MATI AND SHRUT
४६ : अविसेसिआ मई मइनाणं च मइअन्नाणं च ।
विसेसिआ सम्मदिट्ठस्स मई मइनाणं, मिच्छदिट्ठिस्स मई मइअन्नाणं |
अविसेसिअं सुयं सुयनाणं च सुयअन्नाणं च ।
विसेसिअं सुयं सम्मदिट्ठस्स सुयं सुयनाणं, मिच्छदिट्ठिस्स सुयं सुयअन्नाणं ।
अर्थ - सामान्य रूप से मति दो प्रकार का है - मतिज्ञान और मति - अज्ञान । विशेष रूप से सम्यग्दृष्टि की मति मतिज्ञान है और मिथ्या दृष्टि की मति मति - अज्ञान है। इसी प्रकार सामान्य रूप से श्रुत भी दो प्रकार का है - श्रुतज्ञान और श्रुत - अज्ञान । विशेष रूप से सम्यग्दृष्टि का श्रुत श्रुतज्ञान है और मिथ्यादृष्टि का श्रुत श्रुत- अज्ञान है।
46. Generally speaking mati is of two types-mati-jnana and mati-ajnana. Specifically the mati of samyagdrishti is matijnana and that of mithyadrishti is mati-ajnana. In the same way, generally speaking shrut is of two types-shrut-jnana and shrut-ajnana. Specifically the shrut of samyagdrishti is shrutjnana and that of mithyadrishti is shrut-ajnana.
विवेचन- मिथ्यादृष्टि की समझ और प्रवृत्ति विकारग्रस्त होती है। अतः उसके द्वारा ग्रहण किया ज्ञान दुष्प्रवृत्ति के उपयोग में आता है। वह सत्य और मिथ्या दोनों को स्वीकार करता है और सत्य को भी मिथ्या में परिवर्तित कर देता है। अतः मिथ्यादृष्टि के ज्ञान को अज्ञान कहा है चाहे वह मति हो अथवा श्रुत।
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इसके विपरीत सम्यग्दृष्टि पदार्थ के स्वरूप को प्रमाण और नय आदि की अपेक्षा से पहचानता है और तदनुसार सत्य व यथार्थ को ग्रहण करता है तथा मिथ्या और अयथार्थ का त्याग कर देता है। वह मिथ्या में से भी दोहन कर सत्य निकाल लेता है तथा अपने ज्ञान का उपयोग आत्मोन्नति तथा परोपकार के लिए करता है । अतः सम्यग्दृष्टि का ज्ञान ही वस्तुतः ज्ञान कहलाता है चाहे वह मति हो अथवा श्रुत ।
श्री नन्दी सूत्र
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Shri Nandisutra
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