Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 268
________________ 6FFFFFFFFF听听听听听FFFFFFF听听听听听听乐乐听听听听 $ $$听$ $$$ $$$$ 5听听 % %%%%%% 斯斯与野野步步步步步步助步助步步与號 १७. पुत्र-किसी नगर में एक व्यापारी रहता था। उसके दो पलियाँ थीं। एक पुत्रवती थी # म और दूसरी बंध्या। किन्तु दोनों ही बालक को समान रूप से स्नेह करती थीं और सार-संभाल भी। दोनों माताओं के समान व्यवहार के कारण बालक भी यह नहीं जान पाया कि उसकी ॐ असली माता कौन-सी है? एक बार व्यापारी अपने परिवार सहित विदेश-यात्रा पर गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में ही उसकी मृत्यु हो गई और उसके बाद दोनों स्त्रियों में विवाद हो गया। दोनों उस बालक के अपना पुत्र होने का दावा कर यह कहने लगी की सेठ की संपत्ति उसकी है। विवाद जब बढ़ा तो वे न्यायालय पहुंची। न्यायाधीश भी उलझन में पड़ गए कि अन्य किसी प्रकार की सूचना या साक्षी के अभाव में कैसे न्याय करें। स्वयं बालक भी यह बताने में असमर्थ म था कि असली माँ कौन-सी है। कुछ ही देर में उसकी औत्पत्तिकी बुद्धि ने काम किया और उसने के में अपने अधीन कर्मचारियों को आदेश दिया-"पहले व्यापारी की संपत्ति को दोनों स्त्रियों में - बराबर-बराबर बॉट दो और फिर एक आरी से बच्चे के दो बराबर टुकड़े कर दोनों स्त्रियों को दे दो।" यह आदेश सुन एक स्त्री तो मौन रही पर दूसरी तत्काल रोती हुई बोली-“नहीं ! नहीं ! बच्चे के टुकड़े न करें। यह मेरा नहीं, इसी का बच्चा है। कृपाकर इसे ही दे दें और मेरे हिस्से की संपत्ति भी इसी को दे दें। बच्चे के लालन-पालन में आवश्यकता पड़ेगी। मेरा स्नेह तो + बच्चे को देखकर ही संतुष्ट हो जाएगा।" न्यायाधीश ने उस स्त्री की स्नेह-विकल अवस्था को देख तत्काल समझ लिया कि असली मॉम वही है। माँ अपने पुत्र की मृत्यु कभी किसी मूल्य पर सहन नहीं कर सकती। उसने न्यायानुसार पुत्र व संपत्ति उसे सौंपी और नकली को दण्ड दिया। 17. The Son-There lived a merchant in a town. He had two wives. One had a son and the other was barren. But the two of them took care of the child with same affection and love. Due to this 4 uniform behaviour even the child was not aware that which of them 5 was his true mother. Once the merchant went out on a foreign tour 41 with his family. Unfortunately he died on the way. After his death there was a dispute between the two wives. Saying that the son belonged to her, they both claimed the merchants property. When the differences increased they moved court. The judge also became confused as to how to decide in absence of any further 5 information or evidence. Even the child was unable to tell which one 5 was his real mother. A little later his Autpattiki Buddhi worked and he instructed his subordinate-“First of all divide all the property belonging to the merchant between the two women. Once this is done - take a saw and slit the child in two and give one piece each to them.” 5 This strange order did not bring out any reaction from one of the 45 मतिज्ञान (औत्पत्तिकी बुद्धि) ( २०५ ) Mati-jnana (Autpattiki Buddhi) 45 由步步步步步步步步步皆岁岁岁岁男%%步步步步步步步步步步步步步步步步 4Fi听听听听听555 $$$$$$ $$$$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听$$$$ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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