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When the queen heard this she was apprehensive about her possible disrepute. She at once requested the king and got the exile 41 order rescinded. The jester saved himself with his Autpattiki Buddhi.
११. लाख की गोली-किसी बालक ने खेल-खेल में लाख की एक गोली नाक में डाल ली। 卐 गोली नाक के भीतर अटक गई और बच्चे को पीड़ा होने लगी। उसे साँस लेने में भी कठिनाई है
होने लगी। माता-पिता घबराकर किसी चिकित्सक को तलाशने लगे। तभी एक सुनार उधर से है ॐ निकला। उसने बच्चे का रोना सुनकर पूछा कि “क्या कष्ट है ?" माता-पिता से सारी बात 卐 सुनकर उसने कहा-“चिंता न करो, मैं अभी गोली निकाल देता हूँ।" उसने लोहे की एक पतली है म सलाख मँगवाई। सलाख की नोंक को गर्म कर सावधानी से बच्चे की नाक में फँसी गोली पर
धीरे से दबाया। लाख थोड़ा-सा पिघला और गोली उस सलाख से चिपक गई। सुनार ने सावधानी - से खींचकर गोली को बाहर निकाल दिया।
11. The Shellac Ball-A little boy playfully inserted a shellac ball in his nostril and it got stuck there. It was painful. The boy had difficulty in breathing. The disturbed parents started searching for a doctor. Just then a goldsmith happened to pass by. When he saw the boy crying he asked "what was the problem ?” When the parents told him about the incident he reassured them-"Don't worry. I will just take out the ball." He asked for a thin steel rod and heated it. When it gained the required temperature he carefully pushed it into the
shellac ball inside the nostril. The shellac melted a little and the rod 卐 stuck to the ball. Now he carefully pulled out the ball.
१२. खंभ-किसी राजा को एक कुशाग्र बुद्धि मंत्री की आवश्यकता थी। उसने ऐसे व्यक्ति की + खोज के लिए एक अनोखी परीक्षा की योजना बनाई। नगर के बाहर के एक सरोवर के
बीचोंबीच उसने एक ऊँचा खंभा गड़वा दिया। इसके बाद उसने घोषणा करवा दी कि बिना ॐ तालाब में उतरे, किनारे से ही जो इस खंभे को रस्सी में बाँध देगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा।
__ घोषणा सुनकर अनेक लोग आए और खंभे से रस्सी बाँधने का उपाय खोजने लगे। बहुत समय ॐ बीत गया पर कोई इस असम्भव-से काम को करने में सफल नहीं हुआ। तभी एक व्यक्ति आया, ॐ स्तम्भ को देख उसने सरोवर के चारों ओर दृष्टि दौड़ाई। फिर उपाय सोचकर एक लम्बी रस्सी 5 1 और एक छूटा ले आया। पहले उसने खूटी को सरोवर के किनारे गाड़ दिया और रस्सी के एक
छोर को उस खूटी से बाँध दिया। अब शेष रस्सी को हाथ में ले उसने चलना आरंभ किया। एकम एक कदम चलता जाता और रस्सी को थोड़ा-थोड़ा छोड़ता जाता। इस प्रकार वह सरोवर के चारों,
ओर घूमकर वापस खूटे के पास लौट आया। रस्सी तालाब के बीच गड़े स्तम्भ के चारों ओर लिपट ॐ गई थी। उसने दूसरा छोर पहले छोर से बाँध दिया और पुरस्कार लेने राजा के पास जा पहुंचा।
उसकी औत्पत्तिकी बुद्धि से प्रभावित राजा ने उसे मन्त्रीपद देकर पुरस्कृत किया। मतिज्ञान (औत्पत्तिकी बुद्धि)
Mati-jnana (Autpattiki Buddhi)