Book Title: Agam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Author(s): Devvachak, Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
Publisher: Padma Prakashan

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Page 185
________________ m.-- FIFIPIEVE IEEEEEEपदमफ49999777 Than ner atmom . - -. - -- - -- hayogi Kewal-jnana. After this it is called apratham samaya ayogi 4 Kewal-jnana. That which has reached the final (charam) samaya of 卐 the fourteenth level is called charam samaya ayogi Kewal-jnana.' Prior to that it is called acharam samaya ayogi Kewal-jnana. The maximum staying time at the fourteenth level is equivalent to the 45 time lapsed in pronouncing five short vowels of Prakrit Sanskrit 4 language (a, i, u, ri, lri). This state is also known as shaileshi (mountain like) state. As soon as this ends the Siddha state and dimension is attained. B%听听听听听听听听玩FFFFFFFFFFFF听听听听听听F$ $$$$$$$ सिद्ध केवलज्ञान निरूपण SIDDHA KEWAL-JNANA ४0 : से किं तं सिद्धकेवलनाणं? सिद्धकेवलनाणं दुविहं पण्णत्तं तं जहा-अणंतर-सिद्धकेवलनाणं च, परंपर-सिद्धकेवलनाणं च। + अर्थ-प्रश्न-यह सिद्ध केवलज्ञान कैसा कहा गया है ? उत्तर-सिद्ध केवलज्ञान दो प्रकार का बताया है-अनन्तर सिद्ध केवलज्ञान तथा परम्पर सिद्ध केवलज्ञान। ___40. Question-What is this Siddha Kewal-jnana ? 5 Answer-Siddha Kewal-jnana is said to be of two typesSi Anantar-Siddha Kewal-jnana and Parampar-Siddha Kewal jnana. ॐ विवेचन-शैलेशी अवस्था के अन्तिम बिन्दु पर तैजस् और कार्मण शरीर से आत्मा सर्वथा मुक्त हो जाती है। यह स्थिति मोक्ष अथवा सिद्ध गति कहलाती है। ऐसे आठों कर्मों से सर्वथा ॐ विमुक्त हुए सिद्धात्मा कर्मों के नितान्त अभाव के कारण पुनर्जन्म के चक्र अथवा संसार से मुक्त है के होते हैं। ये राशि रूप में सब एक हैं अर्थात् एक समान हैं और संख्या में अनन्त। सिद्धों का E केवलज्ञान भी समान होता है, स्तर भी समान और अपरिवर्तनीय होता है किन्तु भली प्रकार ॐ समझने के लिए अथवा सामान्य जन के यथासम्भव बुद्धि ग्राह्य बनाने के लिए समय, स्थान, भाव + आदि के विभिन्न सन्दर्भो में इसमें कतिपय भेद किए गये हैं। फ्र वृत्तिकार आचार्य मलयगिरि ने भव्य जीवों के सिद्ध होने की पात्रता, समय, स्थान आदि के आधार पर सिद्ध स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए आठ द्वारों के सहारे सिद्ध होने के समय के श्री नन्दीसूत्र (१३२ ) $555555555555555555555555555555 %%$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F听听听听听听6 ) ) ) ) Shri Nandisutra 卐 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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