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ईशान देवलोक के देवों को छोड़कर सभी देवलोकों से आये हुए सिद्धों का अन्तर १ वर्ष से कुछ ॐ अधिक का और मनुष्यगति से हुए स्वयंबुद्ध सिद्धों का अन्तर संख्यात हजार वर्ष का होता है।
पृथ्वी, पानी, वनस्पति, सौधर्म-ईशान देवलोक के देव और दूसरी नरकभूमि से निकले हुए जीवों के सिद्ध होने का अधिकतम अन्तर हजार वर्षों का होता है। न्यूनतम अन्तर एक समय का होता है।
(४) वेद द्वार-पुरुषवेदी से अवेदी होकर सिद्ध होने का अधिकतम अन्तर एक वर्ष से कुछ ॐ अधिक, स्त्रीवेदी और नपुंसकवेदी से अवेदी होकर सिद्ध होने वालों का उत्कृष्ट विरह संख्यात है + हजार वर्ष का, पुरुषवेदी से पुरुषवेदी होकर सिद्ध होने वालों का अधिकतम अन्तर एक वर्ष से है कुछ अधिक होता है। शेष सभी का संख्यात हजार वर्ष है।
(५) तीर्थकर द्वार-तीर्थंकरों का सिद्ध बनने का अधिकतम अन्तर पृथक्त्व हजार पूर्व और स्त्री तीर्थंकरों का अनन्तकाल होता है। अतीर्थंकरों का एक वर्ष से अधिक और प्रत्येक बुद्धों का . संख्यात हजार वर्ष होता है।
(६) लिंग द्वार-स्वलिंगी सिद्ध होने का अधिकतम अन्तर एक वर्ष से कुछ अधिक तथा : अन्यलिंगी और गृहलिंगी का संख्यात हजार वर्ष होता है।
(७) चारित्र द्वार-पूर्वभव की अपेक्षा से सामायिक, सूक्ष्म संपराय और यथाख्यात चारित्र # पालकर सिद्ध होने का अन्तर एक वर्ष से कुछ अधिक होता है। शेष दो चारित्रों का अन्तर १८ # कोड़ाकोड़ी सागरोपम से कुछ अधिक का।
(८) बुद्ध द्वार-बुद्धबोधित सिद्धों का अन्तर १ वर्ष से कुछ अधिक का, अन्यों द्वारा म प्रतिबोधित हुए सिद्धों का संख्यात हजार वर्ष का तथा स्वयंबुद्ध सिद्धों का पृथक्त्व हजार पूर्व का + अन्तर होता है।
(९) ज्ञान द्वार-मति-श्रुतज्ञानपूर्वक केवलज्ञान प्राप्त करके सिद्ध होने वालों का अन्तर है पल्योपम के असंख्यातवें भाग जितना, मति, श्रुत एवं अवधिज्ञान सहित केवलज्ञान प्राप्त करके : म सिद्ध होने वालों का अन्तर एक वर्ष से कुछ अधिक। चारों ज्ञानों से केवलज्ञान प्राप्त करके सिद्ध म होने वालों का अन्तर संख्यात हजार वर्ष का होता है।
(१०) अवगाहना द्वार-१४ रज्जू लोक का काल्पनिक घन बनाया जाये तो उसमें एक प्रदेश म की श्रेणी ७ रज्जू लम्बी होगी। इसके असंख्यातवें भाग में जितने आकाश प्रदेश हैं उन्हें एक
समय में एक आकाश प्रदेश निकालकर क्रमशः खाली किया जाये तो जितना समय लगेगा वह % अधिकतम अवगाहना वाले सिद्धों का अन्तरकाल होता है। मध्यम अवगाहना वालों का अन्तर एक वर्ष से कुछ अधिक और न्यूनतम अवगाहना वालों का अन्तर एक समय।
(११) उत्कृष्ट द्वार-अप्रतिपाती सिद्धों का अधिकतम अन्तरकाल सागरोपम का असंख्यातवाँ भाग होता है। संख्यात काल तथा असंख्यात काल के प्रतिपाती सिद्धों का अन्तरकाल संख्यात हजार वर्ष तथा अनन्तकाल के प्रतिपाती सिद्धों का अन्तरकाल १ वर्ष से कुछ अधिक होता है।
केवलज्ञान का स्वरूप
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