Book Title: Agam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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लगा । भवनपति, वाणव्यन्तर. ज्योतिषी एवं वैमानिक-चारों जाति के देव दर्शन करने आये । वासुदेव श्रीकृष्ण भी हजारों के जन समूह के साथ प्रभु के दर्शनार्थ आये । तब, वह गौतमकुमार भी मेघकुमार की तरह प्रभु के दर्शन करने के लिए घर से निकला । धर्मोपदेश सुनकर हृदय में धारण करके प्रभु से प्रार्थना की-हे देवानुप्रिय ! मैं अपने माता-पिता को पूछकर, उनकी अनुमति प्राप्त कर आप देवानुप्रिय के पास, प्रव्रजित (श्रमण दीक्षा लेना) होना चाहता
इस प्रकार मेधकुमार की भाँति, गौतमकुमार ने भी माता-पिता से आज्ञा मांगी । अन्त में बड़े समारोह पूर्वक गौतमकुमार ने दीक्षा ग्रहण कर ली । ईर्यासमिति आदि पांच समिति एवं तीन गुप्ति से सावधान रहकर निर्ग्रन्थ प्रवचन-अर्थात् भगवान की आज्ञा अनुशासन को शिरोधार्य करक विचरने लगे । उसके पश्चात् गौतम अणगार ने अरिहंत अरिष्टनेमि भगवान के तथारूपगुण सम्पन्न गीतार्थ स्थविरों के पास सामायिक (आवश्यक सूत्र-श्रुत) आदि ग्यारह अंगों का अध्ययन किया । अध्ययन करके गौतम अणगार बहुत से उपवास यावत् (वेला, तेला आदि) तप द्वारा आत्मा को भावित करते हुए आत्मानन्द में लीन रहने लगे । तब, अरिहंत अरिष्टनेमि ने किसी अन्य दिन, द्वारका नगरी के नन्दनवन उद्यान से प्रस्थान किया और अन्य भव्य जीवों को मोक्ष मार्ग का प्रकाश करते हुए विचरने लगे ।
Coming of Bhagawăna Aristanemi to Dwarakā and Consecration of Gautamakumāra Maxim 7 :
At that time and at that period Arihanta Aristanemi wandering village to village came to Nandana garden of Dwárakā city, the religious council (samuvastrana)
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अन्तकृद्दशा सूत्र : प्रथम वर्ग
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