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__स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास । हिमवंत की स्थविरावली के अनुसार वाचक-वंश या विद्याधर-वंश कर परम्परा १. गणधर सुघर्मा
१५. आचार्य समुद्र २. आचार्य जम्बू
१६. आचार्य मंगुसूरि ३. आचार्य प्रभव
१७. आचार्य नंदिलसूरि ४. आचार्य शय्यम्भव
१८. आचार्य नागहस्तीसरि ५. आचार्य यशोभद्र
१९. आचार्य रेवती नक्षत्र ६. आचार्य सम्भूतिविजय २०. आचार्य सिंहसूरि ७. आचार्य भद्रबाहु
२१. आचार्य स्कन्दिल ८. आचार्य स्थूलभद्र
२२. आचार्य हिमवन्त क्षमाश्रमण ९. आचार्य महागिरि
२३. आचार्य नागार्जुनसूरि १०. आचार्य सुहस्ती
२४. आचार्य भूतदिन ११. आर्य बहुल और बलिस्सह २५. आचार्य लोहित्यसूरि १२. आचार्य (उमा) स्वाति २६. आचार्य दूष्यगणि १३. आचार्य श्याम
२७. आचार्य देववाचक (देवर्द्धिगणी क्षमाश्रमण) १४. आचार्य सांडिल्य
२८. आचार्य कालक (चतुर्थ) २९. आचार्य सत्यमित्र (अन्तिम पूर्वविद्)
'दुस्सम काल समण संघ' तथा 'विचार श्रेणी के अनुसार
युगप्रधान-पट्टावली और समय आचार्यों के नाम
समय (वी०नि०सं०) १. गणधर सुघर्मा
१ से २० २. आचार्य जम्बू
२० से ६४ ३. आचार्य प्रभव
६४ से ७५ ४. आचार्य शय्यम्भव
७५ से ९८ ५. आचार्य यशोभद्र
९८ से १४८ ६. आचार्य सम्भूतिविजय
१४८ से १५६ ७. आचार्य भद्रबाहु
१५६ से १७० ८. आचार्य स्थूलभद्र
१७० से २१५ ९. आचार्य महागिरि
२१५ से २४५ १०. आचार्य सुहस्ती
२४५ से २९१ ११. आचार्य गुणसुन्दर
२९१ से ३३५ १२. आचार्य श्याम
३३५ से ३७६
* तेरापंथ का इतिहास, खण्ड-१ से साभार
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