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संनम माइए हिजो गे हिंजय एसितंजसा। एम्प्रज्ञातानामयुतमाचमेवै ॥ एंजेपन मो बोलथयो । ५३॥ तथाकुलमा हो जेजावया वातराम देविकावे तेल पाइन फुफाजल या धलया या विटायनात बायस के अम से रके डा।।। बोध वाऽनंतजी वाया राजेके ईनालिया बधा। पुष्पा संरखे खजानीयातली या नऊ यात्रानंतजी वाजे यावलेत हावा हा शपुष्प फल का लिंगानुं विंत सेल वाल वालुका घोसाडयं पैकोला तिऽयं चे व तिंमुसान बिदिसमंस कडा हा एया इहवंती एगजी वस्सापतेयंयतायास के सरम के सरंभी जाक्षास देवी किसलया । अगममा गोपन तो उसे देववीवढं तो हो श्री तो अनं तो वाधिए पन्त्रवणसुत्र ने पद पैले बाएवोपनमो बोलथयो॥५४॥ तथा के तलाइ कश्मक हेबे जेसु चिना द्यावीन्यधर्मकर्तव्य की वो घंटे नही ऊपलाए गधा क्या पुतेसु देस गए देवयासी | झेशांमु. देसला किंमुल एो। एनं ते म्हा पांदे वा लुपा या सोयम्लेम्मेोपसं ते जावस गंग बेतितिए सांधा क्वा पुते सुदसरंगाए वेद यासा|सुदंस एसेजहानामा केद्रपुरी सोएगम हे रुदिर कयवच्चारुं हिरे एम्वेवमेए जातिं एए सुदन तिस्स 'रु हिरकय संवच सारु हिरेएचेवंप रखाली माएस्स चिकाईसो हो ।नों इए| वेसमहो
बामे वसु दस लाघुम पालाश्वाए जायभी खाद सांस लेपन था सोहिज हातस्संरुहिरकयवचसरुहारेण परवाली जमाएसंनथा सो हो।ए ज्ञाता अध्ययनमेवेति एगमला वा चोरकं परीवाइयांएवढया सानु तेग बोरट किंमूले धुम्मे पलं तातएां सा-चोखी परी वाईया |म लिंबीएवंव या साम्हे एंदेिवा तुपा यासीय मुले धम्म पत्ते