Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 613
________________ 'मरुधरकेसरी मुनि श्री मिश्रीमलजी : सम्पा०- शोभाचन्द भारिल्ल, मरुधरकेसरी म० अभिनन्दन ग्रन्थ' अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशन समिति, जोधपुर : ब्यावर,१९६८ 'महाप्राण मुनि मायाराम' : सुभद्र मुनि, श्री मायारामजी म० स्मारक प्रकाशन, के०बी० ४५, कविनगर, गाजियाबाद, १९७९ 'मुनिद्वय अभिनन्दन ग्रन्थ' • सम्पा०- श्री रमेश जैन, साहित्य प्रकाशन समिति, गाँधी कालोनी, जावरा (म०प्र०) 'मुनि मिश्रीमलजी की आत्मकथा' : डॉ राजमल वोरा, भूमिका प्रकाशन, नई दिल्ली ११०००२, १९९२। 'मेवाड़सिंहनी गुरुणी श्री : आर्या प्रेमकवँरजी एवं श्री रिद्धकवरजी 'मधु', 'यशकंवरजी म० : व्यक्तित्व, दिनकर संदेश, पो० ऑ०-बीगोद, आठण कृतित्व, जीवन' (भीलवाड़ा) । 'युगद्रष्टा आचार्य श्री : अध्ययन : डॉ० राजेन्द्रमुनि, श्री तारकगुरु जैन ग्रन्थालय, और अवदान' शास्त्री सर्कल, गुरु पुष्कर मार्ग, उदयपुर, १९९५1 'युगद्रष्टा मुनि श्री रत्वंदजी' : पूज्य श्री रत्नचंदजी म० जन्मशताब्दी महोत्सव समिति, मुम्बई। 'युवाचार्य श्री मधुकरमुनि स्मृति : मुनि विनयकुमार 'भीम', पीपिलिया बाजार, ब्यावर, १९८५। सामान ग्रन्थ' 'रत्नवंश के धर्माचार्य' : सम्पा० पं० दुःखमोहन झा, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर, १९९३1 'रत्नजीवन दर्पण' : पूनमचंदजी म०, गुरुदेव श्री रत्नचंदजी म० स्मारक ट्रस्ट, सुरेन्द्रनगर, १९८१ । 'राजस्थानकेसरी पुष्करमुनिजी : राजेन्द्रमुनि, श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, शास्त्री म० : जीवन और विचार' सर्कल, उदयपुर । 'रूपांजली' : सम्पा० - भास्करमुनि, श्री स्था० जैनसंघ, भचाऊ (कच्छ), १९८३ । 'विश्वचेतना के मनस्वी सन्त मुनि : मुनि सुमन्तभद्र, अहिंसा प्रकाशन, अहिंसा विहार, सुशीलकुमारजी' 'सी' ब्लॉक डिफेन्स कालोनी, नई दिल्ली, १९७४। 'श्रमणोपासक' (आचार्य श्री : सम्पा०- चम्पालाल डागा, श्री अखिल भारतीय नानेश स्मृति विशेषांक) साधुमार्गी जैन संघ, समता भवन, रामपुरिया मार्ग, बीकानेर । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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