Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 611
________________ सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची 'अंचलगच्छ दिग्दर्शन' (सचित्र) : पार्श्व श्री मुलुंड अंचलगच्छ जैन समाज, मुलुंड, मुम्बई-८०,१९६८। 'अचलगच्छ का इतिहास : डॉ० शिवप्रसाद पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी एवं प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, २००१ 'अमृत-महोत्सव गौरव ग्रंथ' : अ० भा० जैन कांफ्रेन्स, १२ शहीद भगतसिंह मार्ग, नई दिल्ली-११०००१, १९८८ 'आचार्यप्रवर श्री आनन्दऋषि : सम्पा०- श्रीचन्द सुराना 'सरस', श्री महाराष्ट्र अभिनन्दन ग्रन्थ स्थानकवासी जैन संघ, साधना सदन, नानापेट, पूना-२, १९७५। 'आचार्य सम्राट' :: ज्ञानमुनि, आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशनालय, जैन स्थानक, लुधियाना । उपाध्याय अमरमुनि : व्यक्तित्व : विजयमुनि, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, १९६२। एवं कृतित्व 'उपाध्याय पुष्करमुनि अभिनन्दन : सम्पा०- श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री, श्री तारक ग्रन्थ गुरु जैन ग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल, उदयपुर, १९७९ 'ऋषभदेव-एक परिशीलन' : देवेन्द्रमुनि शास्त्री, श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर, १९६७। 'कमल सम्मान सौरभ : सम्पा०-श्री महेन्द्रमुनि एवं श्री श्रीचन्द सुराना 'सरस', व्यवस्थापक समिति, श्री वर्द्धमान महावीर केन्द्र, सब्जी मण्डी के सामने, आबू पर्वत (राज.), १९८४ 'कमल सौरभ : सम्पा०. उप-प्रवर्तक श्री विनयमुनि 'वागीश', श्री महावीर वर्द्धमान महावीर केन्द्र, सब्जी मण्डी के सामने, आबू, २००२ । 'खरतरगच्छ का आदिकालीन : महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर, अ०भा० जैन श्वे० इतिहास खरतरगच्छ महासंघ, १००४ मक़लीवाड़ा, दिल्ली। 'खरतरगच्छ-दीक्षा-नन्दीसूत्र' : सम्पा०-भँवरलाल नाहटा, महो० विनयसागर, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, १९९० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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