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दक्षिणकेशरी मुनि श्री मिश्रीलालजी
आपके जीवन से सम्बन्धित तिथियों की जानकारी उपलब्ध नहीं होती है। आपके विषय में जो जानकारी मिलती है वह है कि आप बेंगलोर निवासी श्री हीराचन्द्रजी छाजेड़ के पुनरत्न थे । आपकी माता का नाम श्रीमती चुन्नीबाई था । कर्णाटककेशरी श्री गणेशमलजी के प्रेरक उपदेश सुनकर आपके मन में वैराग्य की उत्पत्ति हुई। बेंगलोर में ही आपकी दीक्षा हुई। आप कर्णाटककेशरी मुनि श्री गणेशमलजी के चतुर्थ शिष्य हुए। आपसे पूर्व मुनि श्री खेमचन्दजी, सेवाभावी श्री अगरचन्दजी म., तपस्वी श्री राजमलजी, गुरु गणेश का शिष्यत्व स्वीकार कर चुके थे । आपके शिष्य श्री सम्पतमुनिजी थे। यह परम्परा अब विलुप्त प्राय है।
स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास
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