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आचार्य हरजीस्वामी और उनकी परम्परा
४६९ आगमों का तलस्पर्शी अध्ययन किया और अल्प समय में ही आप आध्यात्मिक, दार्शनिक एवं साहित्यिक विषयों के विशिष्ट ज्ञाता, अध्येता एवं व्याख्याता हो गये । आपकी ज्ञान गम्भीरता को देखते हुये यदि आपको आगम का पर्याय कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । आप हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं के अच्छे जानकार थे। आपने अपना पहला चातुर्मास वि० सं० १९९७ में फलौदी में युवाचार्य श्री गणेशीलालजी के साथ किया। वि०सं० २०१९ आश्विन शुक्ला द्वितीया के दिन आप युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुये और वि०सं० २०१९ माघ कृष्णा द्वितीया को उदयपुर में हुक्मी संघ के आठवें पट्टधर हुये । आपने अपनी ओजस्वी प्रवचनधारा जो सरल एवं प्रांजल भाषा से युक्त होती थी, के माध्यम से अर्जुनमाली आदि का दृष्टान्त देकर ७० ग्रामवासियों के ५३३ परिवारों को प्रतिबोधित किया। आपने अपने संयमी जीवन में ३०० से अधिक सजीव संयमी मूर्तियाँ अपने हाथों से निर्मित की हैं। आपकी विपुल साहित्य सम्पदा है। वि०सं० २०५६ में स्वास्थ्य की अनुकूलता न होने पर भी आप बीकानेर से ब्यावर आदि क्षेत्रों को स्पर्श करते हुये उदयपुर पधारे। आपके गुर्दे खराब हो चुके थे फिर भी आप ऊपर से स्वस्थ ही नजर आते थे। किन्तु होनी को नहीं टाला जा सकता। कार्तिक वदि तृतीया वि०सं० २०५६ तदनुसार २७ अक्टूबर १९९९ दिन बुधवार को संथारापूर्वक रात्रि के १० बजकर ४१ मिनट पर आपने स्वर्ग के लिए महाप्रयाण किया। अजर अमर आत्मा ने नश्वर औदारिक शरीर का परित्याग कर दिया। आचार्यप्रवर के स्वर्गस्थ होने के पश्चात् पौषधशाला में शासन प्रभावक श्री सम्पतमुनिजी, त्यागी श्री रणजीतमुनिजी, स्थविर प्रमुख श्री ज्ञानमुनिजी ने युवाचार्य श्री रामलालजी को आचार्य पद की चादर ओढ़ाई।
आचार्य श्री नानालालजी की साहित्य सम्पदा प्रवचन साहित्य
___ 'अमृत सरोवर', 'आध्यात्मिक आलोक', 'आध्यत्मिक वैभव', 'आध्यात्मिक ज्योति', 'जीवन और धर्म (हिन्दी एवं मराठी), ‘जलते जाएं जीवन दीप', 'ताप और तप', 'नव निधान', 'पावस प्रवचन' भाग- १,२,३,४,५', 'प्रवचन पीयूष' 'प्रेरणा की दिव्य रेखाएं' 'मंगलवाणी' 'संस्कार क्रान्ति', 'शान्ति के सोपान', 'अपने को समझें भाग - १,२,३, ‘एकै साधे सब सधे' 'जीवन और धर्म', 'सर्व मंगल सर्वदा।' कथा साहित्य
___'अखण्ड सौभाग्य' 'कुंकुंम के पगलिए', 'ईर्ष्या की आग' 'लक्ष्यवेध' 'नल दमयन्ती।' चिन्तन साहित्य
'गहरी पर्त के हस्ताक्षर' (हिन्दी, गुजराती) 'अन्तर के प्रतिबिम्ब' 'समता
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