Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 556
________________ ५३७ परिशिष्ट अतविंसु वि भिक्खवो, आएसा वि भवन्ति सुवत्ताए। एयाई गुणाई आहुतेका, सा तवस्स अणधम्मयारिणो ।। तिविहेण वि. पाण. माहणे, आयहिए अनियाण संवुड़े। एवं सिद्धा अणंतसो, संपड़ जे अणगयावरे।। इति श्री सूअगडांग, बीजा अध्ययनी विषइ त्रीजा उद्देशउ, तेहनी विषइ। जीवदयाई करी मोक्ष पुहता। एह अट्ठावनमु बोल। इति लंका ना सद्दहिआ अनइ लुकाना करिया अट्ठावन बोलो अनइ तेहनु विचार लिखीइ छइ, शुभं भवतु समणसंघाय, श्री। 'केहनी परम्परा' हवे परम्परा लखीए छीए। केटलाक एम कहे छे के वीर प्रभुए आ रीते परम्परा कही छे। श्री लोकाशाह प्रश्न करे छे के आ परम्परा कयां शास्त्रों मा कही छे ते बतावो। १. घरि प्रतिमा घड़ावी मंडावइ छई ते केहनी परम्परा थइ ? २. नान्हा छोकरनइं दीक्षा दिइ छइ, ते केहनी परम्परा थइ ? ३. नाम (दीक्षा काले) फेरवइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ? ४. कान वधारइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ? ५. खमासमासणु विहरइ छइ ते केहनी परम्परा छइ ? ६. गृहस्थ नी घरइ बइसि विहरइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ? ७. दीहाड़ी दीहाड़ी (प्रतिदिन) तेणइ (उसी एक) घरि विहरइ ते केहनी परम्परा छइ? ८. अंघोल (स्थान) कहइ (कोई) करइ, ते केहनी परम्परा छइ? ९. ज्योतिषनइ मर्म प्रजुंजइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ? १०. कलवाणी करी आपइ छइ, ते केहनी परम्परा ? ११. नगर माहिं पइसता पइं सारु साहमुं करावइ छइ, ते केहनी परम्परा छ । १२. लाडूआ प्रतिष्ठइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? १३. पोथी पूजावइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? १४. संघपूजा करवइ, ते केहनी परम्परा छइ ? १५. प्रतिष्ठा करइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? १६. पजूसणइं पोथी आपइ छइ, ते केहनी परम्परा छइ ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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