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परिशिष्ट
५४१ नथी अनइ आपणइ भावि भेल्यइ गरज स्युइ नस्सरइ? डाह्या होइ तउ विचारीजो ज्यो जीतउ देव नी, गुरु नी गरज किम सरइ? एतावता गुण विना गरज न सरइ । वंदनीक ज्ञान, दर्शन, चारित्र सही जाणो। (प्रश्न सं०१३)
इन १३ प्रश्नों के लेखन के पश्चात् इनके उत्तर लिखे गये हैं और अन्त में प्रशस्ति के रूप में जो उल्लेख हैं, वे निम्न प्रकार है
___“प्रश्न १३ लूंके पूछया, तेहना उत्तर सूत्र साखिइं श्री पासचंदि सूरिइं दीधा छई, छ: शुभं भवतु, श्रीमद्दहीपुरीय (नागोरी) बृहत्तपागच्छाधिराज श्री पार्श्वचंद्र सूरीन्द्रेण विरचिता चर्चा समाप्ता छः। यह प्रति कुल १० पत्रों की है, जिसके १९ पृष्ठों में यह लिखी गई है। प्रथम मुखपृष्ठ पर केवल इतना ही लिखा है “लूकाए" पूछेल १३ प्रश्न न उत्तरो।" लालभाई दलपतभाई इण्डियोलोजिकल इन्स्टीट्यूट अहमदाबाद के पुस्तक भण्डार में यह प्रति पुस्तक संख्या २४४६६ पर विद्यमान है । उसकी फोटोस्टेट कापी- “आचार्यश्री विनयचन्द्र ज्ञान भण्डार, लालभवन, जयपुर में विद्यमान है।
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