Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 569
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org जिला प्रशासचंदवारा लोड नयो का जमावसगंज वहंती: तो जुनेंजो को तरव्यावस कनाकर शहारतेदिन २ ते बेवार न्याय सककरेंखे तेमां ही नमो एंकरेळे अने ते वीतरागें सम्यग्रहष्टीन का आज्ञा बाहिरका तो जुनेंजे को इम कहे बजेसम्यग्दृष्टिटा लानमा चोएं को इनकरेंतेचात सुत्रवीरुव शेवया भीनंदी सुत्रमा हि कमक जो चन्दपुरवनात नारनें मतिशमीविसमा हो या जावदस पूर्व रानात लहानपणमतिसमादिसमी हो5 नवपूर्वनाश हारनें मतिसमी होय अनेंमी थ्या यल होश एतले नमेो चुच्प्राददेशं घघणात पामतीमीथ्पा त्वहोनें समी पण है। इते।। इ) मेले जो ताजेश्म कहेब जेसम्पगूह टिटाली ने रोको इनमो छुएंन कहईवा तसुत्रसंवीरु ५४ दिसे बातथा प्रत्यक्ष षामा प्रमुषघणा इनमेो चुंकदे बाते काइसम्पग्रह ष्टिजापान था। माया होते विचारा जो त्यो तथा केतला श्क इम कहेब जेगलश्वरशेश्म को कऊंजे जिए घरे जीएएयमिमातिथ्था कवंदा उजीनवरा एंतिना ऊत्तरत्री बजीजेजगमांहीजे हनानां मजहवा प्रवर्तता हो या गणधरमल तेहनौन्यीकारावे तेहनेंतेहवेनामे कह। जीम श्री गणांशमध्ये त्री जे ठाणे गरगरेंश्म कऊं जेसा रहे वा सेतन तिवारी नामा गहे शबरदा म सपना सेना तो जुनेंजीम गलधरें इमक ऊंजे तिचे केहेता तीर्थपणायणने एतीर्थका इच्छाराधन हो।एतलें गए धरेंजे हनुजेहना म होय तेनें ते नाम कहे तनामक ह्यामार्ट का इन्द्राराध्पन थाया श्री वीतराग देवेंतो ज्ञान दर्शन चारित्रयाराध्पक यात्री जेवाती वी हा यारा हा संताजिहानांच्या राहणादिसणाराह एणाचरिता

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