Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 541
________________ ५२२ स्थानकवासी जैन परम्परा का इतिहास २५. पंचवीसमु बोल हवइ पंचवीसमु बोल लिखीइ छ।। प्रतिमानी चउरासी आशाता किहां कही छइ, जु चउरासी आशातना हसिइ, तु प्रतिमा आराध्य हसिइ, अनइ जउ आशातना चउरासी नहीं हुइ, तउ प्रतिमा आराध्य नथी। सही जाणज्यो । तथा सिद्धान्त माहिं गुरु आचार्य उपाध्याय कहिया छइ, ठामि ठामि जु आचार्य उपाध्याय कहिया छई, तउ आशातना ३३ कही छइ, अनइ सिद्धान्त मांहिं प्रतिमा केहो आराध्य नथी कही, तु चउरासी आशातना नथी कही, अनइ जु सिद्धान्त मांहिं हुइ तउ देखाड़उ। एह पंचवीसमु बोल। २६. छवीसमु बोल हवइ छवीसमु बोल लिखइ छ । प्रतिमानी, प्रासादनी, दंडनी, ध्वजनी प्रतिष्ठा किहां कही छइ? प्रतिष्ठा श्रावक करइ के साधु करइ? आंचलीआ कहइ छइं- "श्रावक करइ", बीजा गच्छ कहई छई-"महात्मा करइ" सिद्धान्त माहिं किम कहिउं छइ? एह छवीसमु बोल। २७. सत्तावीसमु बोल हवइ सत्तावीसमु बोल लिखइ छइ। दिगम्बर खमण कहई-"प्रतिमा नग्न कीजइ, श्वेताम्बर कहइं-“नग्न न कीजइ” सिद्धान्त माहिं किम कहिउं छइ? ते देखाडु, एह सत्तावीसमु बोल । २८. अठावीसमु बोल हवइं अठावीसमु बोल लिखीइ छड्। तीर्थंकर ति वारइ मोक्ष पुहता तिवारइ अणसण (नासण कीधां, पालठी वाली पंर्यकासन, ऊभा काउसग्गि, निसिज्जा आसण, हवइं एकमांहिं प्रतिमा केणई प्रकारई कीजइ?) सिद्धान्त मांहिं किम कहिउं छइ? ते देखाड़उ, एह अठावीसमु बोल । २९. ओगणत्रीसमु बोल. हवइं ओगणत्रीसमु बोल लिखीइ छ । प्रतिमा त्रिणि कालमाहिं केहइ कालि पूजीइ? सिद्धान्त मांहिं किम कहिउं छइ? एह ओगुणत्रीसमु बोल। ३०. बीसमु बोल हवइ त्रीसमु बोल लिखइ छइ। प्रतिमा पूजतां किहां फूल चढइ, अनइ वली प्रतिमानई शुचि करीनई वस्त्र धोयां पहिरीनई, सोनाना नख करीनई आपणइ हाथई फूल चुंटीइ, कि वा माली पाइं अणावीइ, अनइ आगमिआ इम कहइ छइं-“सचित्त फूले प्रतिमा न पूजीइ।” ए त्रिहुं प्रकार माहिं सिद्धान्त माहिं किहु प्रकार कर्वा छइ? एह त्रीसमुं बोल। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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