Book Title: Sthanakvasi Jain Parampara ka Itihas
Author(s): Sagarmal Jain, Vijay Kumar
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 508
________________ ४८९ स्थान वि० सं० १९६३ १९६४ १९६५ १९६६ १९६७ १९९५ दिल्ली १९७० इन्दौर १९७१ कोटा १९७२ १९७३ १९७४ १९७५ १९७६ १९७७ १९७८ १९७९ १९८० १९८१ १९८२ आचार्य हरजीस्वामी और उनकी परम्परा वि० सं० स्थान बड़ी सादड़ी १९९१ सोजत निम्बाहेड़ा १९९२ ब्यावर रतलाम १९९३ रतलाम मन्दसौर १९९४ इन्दौर आगरा रतलाम १९९६ ब्यावर कोटा १९९७ रामपुरा १९९८ दिल्ली अजमेर १९९९ जयपुर पालनपुर २००० पाली किशनगढ़ २००१ अजमेर २००२ उदयपुर रामपुरा २००३ जयपुर जावरा २००४ कोटा जयपुर २००५ इन्दौर मन्दसौर २००६ अजमेर रतलाम २००७ रामपुरा २००८ इन्दौर उज्जैन २००९ उज्जैन इन्दौर २०१० बम्बई जयपुर २०११ उज्जैन २०१२ दिल्ली रामपुरा २०१३ अजमेर बड़ी सादड़ी २०१४ जावरा उदयपुर २०१५ रतलाम २०१६ खम्भात उज्जै न मन्दसौर १९८३ १९८४ भीलवाड़ा १९८५ १९८६ १९८७ १९८८ १९८९ जोधपुर १९९० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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